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डिजिटल पोस्टमार्डम रिपोर्ट को लेकर न्यायालय हुआ सख्त

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जबलपुर ।

न्यायलीन प्रकरणों में हस्तलिपि के बजाय डिजिटल पोस्टमार्डम व फोरंसिक रिपोर्ट पेश करने संबंधित दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष सरकार की ओर से बताया गया कि इस संबंध में प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए है। वेब सर्वर पर डाक्टरों के डिजिटल हस्ताक्षर रिपोर्ट उपलब्ध करवाने सरकार माडयूल तैयार करने पर विचार विमर्श कर रही है। तदोपरांत सरकार की ओर से लगभग एक सौ पन्नों को स्टेटस रिपोर्ट भी पेश की गई। न्यायलय ने रिपोर्ट को  रिकार्ड में लेते हुए याचिका की सुनवाई दो माह बाद निर्धारित की है। यह जनहित याचिका जबलपुर निवासी अधिवक्ता अमिताभ जैसवाल की ओर से दायर की गई है। सुनवाई के  दौरान याचिकाकर्ता द्वारा स्वंय दलीले देते हुए बताया गया कि मेडिको लीगल प्रकरण में पोस्टमार्डमफोरंसिक सहित अन्य रिपोर्ट हस्तलिखित होती हैहस्तलिपि स्पष्ट नहीं होने के कारण उसे ठीक से पढ़ा नहीं जा सकता है और न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के दौरान मेडिको लीगल रिपोर्ट मुख्य साक्ष्य होता है। हस्तलिपि स्पष्ट्र नहीं होने के कारण रिपोर्ट के अर्थ का अनर्थ निकालकर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है जो कि जिसका लाभ अभियुक्तों को मिल जाता है जिसे उन्होंने अनुचित बताते हुए न्यायालय से उचित राहत दिए जाने की प्रार्थना की। 

 

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