जबलपुर ।
लालमाटी निवासी विजय पंजवानी एवं तेजस्विनी महिमा फाउंडेशन की अध्यक्ष पूजा पंजवानी के सुपुत्र विवेक पंजवानी द्वारा नेत्रदान का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया गया। बारह वर्षीय विवेक जो कि दिव्यांग था अपनी माँ पूजा से हमेशा कहा करता था कि मेरी मृत्यु के पश्चात् मेरा नेत्रदान जरूर करना क्योंकि विकलांगता कि पीड़ा को वो समझता था। डॉ. पवन स्थापक ने बताया कि स्वाभाविक कारणों से मृत्यु के पश्चात् विवेक के दोनों नेत्र दादा वीरेंद्र पुरी जी नेत्र बैंक में सुरक्षित किये गए। एक नेत्र का प्रत्यारोपण १८ वर्षीया कॉर्निया अंधत्व बालिका को किया गया एवं दूसरे नेत्र का थेराप्यूटिक कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया।
माइक्रोस्कोपिक शल्य क्रिया में डॉ. पवन स्थापक डॉ. आयुष टंडनडॉ. आमिर डॉ. अर्पिता स्थापक दुबे एवं नवनीत शर्मा का योगदान रहा।