जबलपुर
जैविक खेती को प्रोत्साहन देने की शासन की नीतियों के फलस्वरूप किसानों का रुझान दिन प्रतिदिन इस ओर बढ़ता जा रहा है। हालांकि अभी भी ऐसे किसानों की संख्या काफी कम है जिन्होंने इसे अपनाया है, लेकिन अच्छी बात यह है जो भी किसान जैविक विधि से खेती कर रहे हैं वे कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ दूसरे किसानों को भी इसके फायदे बता रहे हैं और प्रेरित कर रहे हैं।
जबलपुर जिले के शहपुरा विकासखंड के ग्राम मनकेडी के दुर्जन सिंह पटेल ऐसे ही एक प्रगतिशील कृषक हैं जो पिछले पाँच-छह साल से जैविक विधि से कृषि कर रहे हैं और कृषि अधिकारियों के साथ आसपास के किसानों को इसका प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। खेती में नित नये प्रयोग करने और आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करने के लिये क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले दुर्जन सिंह कहते हैं कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के असंतुलित इस्तेमाल के कारण जिस तेजी से जमीन की उर्वरा शक्ति घट रही है, एक दिन ऐसा जरूर आयेगा जब किसान खुद व खुद जैविक विधि से खेती करने को मजबूर हो जायेंगे।
महज आठवी तक पढ़े छप्पन वर्षीय दुर्जन सिंह पटेल करीब 20 एकड़ में जैविक विधि से खेती कर रहे हैं। इसमें खुद उनकी लगभग पांच एकड़ तथा सिकमी पर ली गई करीब पन्द्रह एकड़ कृषि भूमि शामिल है। शासन की योजनाओं और नीतियों का भी उन्हें लाभ मिल रहा है। वर्ष 2018-19 में आत्मा परियोजना के तहत दुर्जन सिंह को जैविक खेती अपनाने के लिये उत्कृष्ट कृषक के पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा भी कई और संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
दुर्जन सिंह किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के माध्यम से आयोजित होने वाले प्रशिक्षण व भ्रमण कार्यक्रमों में लगातार शामिल होते आ रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री कृषि तीर्थ योजना में शासन की ओर से महात्मा फुले विश्वविद्यालय राहुरी महाराष्ट्र अध्ययन के लिये भी भेजा गया था। गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर उत्तराखंड जाकर भी उन्होंने कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके साथ-साथ एनआरसी नागपुर में जैविक खेती के बारे में जानकारियां प्राप्त की तथा सिक्किम जाकर जैविक खेती का काम भी देखा।
कृषक दुर्जन सिंह पशुपालक भी हैं और आठ गाय उनके पास है। गोबर और गोमूत्र से वे जैविक खाद और जैविक कीटनाशक भी बना रहे हैं। श्री पटेल ने बताया कि जैविक खाद और जैविक कीटनाशक बनाने में मेहनत और समय जरूर लगता है, लेकिन इससे कृषि पर आने वाली लागत में आधे से भी ज्यादा कमी आती है। भूमि की उर्वरा शक्ति और फसल का उत्पादन बढ़ता है वो अलग। दुर्जन सिंह के मुताबिक जैविक विधि से खेती करने के फलस्वरूप उनके खेत की मिट्टी आज भी भुरभुरी और मुलायम बनी हुई है।
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी शहपुरा रजनीश दुबे बताते हैं कि कृषक दुर्जन सिंह पटेल की कामयाबी से प्रेरित होकर कई और किसान जैविक विधि से खेती को अपनाने के लिये आगे आ रहे हैं। किसान कल्याण एवं कृषि विभाग इन किसानों को प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है और उनके खेतों तक जाकर उन्हें जैविक खाद और जैविक कीटनाशक बनाने का तकनीकी मार्गदर्शन भी उपलब्ध करा रहा है।
दुर्जन सिंह पटेल ने इस बार करीब आठ एकड़ में जैविक विधि से मटर की फसल ली है। इसमें उन्होंने गोबर और गौमूत्र से बनाये गये जीवन द्रव्य एवं खाद का ही इस्तेमाल किया। इससे आकार में बड़ी मटर की फल्लियॉ आई हैं और स्वाद में भी मिठास है। उन्होंने अपनी कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति और इसमें सूक्ष्म जीवों की मात्रा बढाने साइलो वेलफेयर ट्रस्ट गुजरात द्वारा निर्मित सॉइल कंडीशनर का प्रयोग भी किया है। श्री पटेल अपनी इस प्रगति को राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं का प्रतिफल मानते हैं। उन्होंने बताया कि उनका अगला लक्ष्य जैविक खेती करने वाले किसानों का समूह या एफपीओ बनाकर क्षेत्र के अन्य किसानों को इस विधा से जोड़ना है।