Vikas ki kalam

हम बोलेगा..तो बोलोगे की..बोलता है..



क्या सिर्फ नेताजी के इशारे पर मिलती है रैन बसेरा की राहत

ठंड अपने पूरे शबाब पर आ चुकी है और ऐसे में सड़कों पर गुजर-बसर कर रहे बेसहारा लोगों के लिए रेन बसेरा ने अपने दिल और दरवाजे खोल देने का एलान भी कर दिया है। इन दिनों निगम प्रशासन द्वारा मानवता की मिसाल बनते हुए बेसहारा लोगों को लगातार रेन बसेरा में पहुंचाने की कवायद की जा रही है इस पूरे वाक्ये को लेकर बाकायदा अखबारों और सोशल मीडिया में लगातार खबरें भी प्रसारित हो रही है। लेकिन जमीनी हकीकत की बात करें तो रेन बसेरा अपने नाम से ही बदनाम है कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां पर रैन बसेरा के लोगों ने गरीब बेसहारों को बेइज्जत करते हुए दरवाजे से ही चलता कर दिया। लेकिन इस बार मामला कुछ और है सूत्र बताते हैं कि महापौर बेसहारों तक मदद पहुंचाने के लिए खुद इस पूरे प्रोग्राम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और इस सख्ती के चलते रेन बसेरा संचालित कर रहे लोगों की ऊपरी कमाई खटाई में आ चुकी है। वही सिक्के के दूसरे पहलू पर नजर डाली जाए तो आज भी हकीकत यह है कि असल जरूरतमंद को रैन बसेरा की छांव नसीब ही नहीं हो रही। बीते दिनों एक समाजसेवी संस्था के संचालक ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए व्यवस्था पर कई सवालिया निशान खड़े कर दिए। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि बाजनामठ मंदिर एवं बरेला क्षेत्र से मानसिक रुप से बीमार एक वृद्ध को मेडीकल लाया गया तो उन्हें वहां रखने से मना कर दिया गया। ऐसे कई लोगों को सड़क किनारे निधन हो जाता है। इन्हें न वृद्ध आश्रम में जगह मिलती है और न ही रैनबसेरा और सरकारी अस्पताल में। इनके भोजन पानी की भी नि:शुल्क व्यवस्था नहीं हो पाती। ऐसे ३० से ज्यादा लोग रोजाना उनकी संस्था के सहयोग से भोजन पानी पा रहे हैं। मेडीकल में बनाए गए रोटरी क्लब द्वारा टीन शेड पर भी नगर निगम ने कब्जा कर लिया है। अब जबकि ऐसे हालात सामने आ रहे हैं तो फिर अखबारों में छपने वाली रैन बसेरा से राहत की खबरों पर भी सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। सूत्र बताते हैं कि वर्तमान में पावरफुल नेता जी इस ओर ध्यान दे रहे हैं इसलिए रैन बसेरा निराश्रित और बेसहारा लोगों के लिए बे-रोकटोक कृपा बरसा रहा है। लेकिन जिस भी दिन नेताजी का मिजाज बदला रेन बसेरा अपने असली रंग दिखा देगा। कुल मिलाकर हकीकत यही है कि.. अक्सर जरूरतमंद रहता है रैन-बसेरा की सुविधाओं से आहत..

और दबी जुबान से सिर्फ यही सवाल पूछता है कि..

क्या सिर्फ नेताजी के इशारे पर मिलती है रैन बसेरा की राहत..?


भाजपा नेता के ट्वीट से सहमा,संस्कृति मंत्रालय का कार्यक्रम 


देश की संस्कृति की साख को विश्व भर में चमकाने के उद्देश्य से शहर में संस्कृति मंत्रालय का एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य भारतीय संस्कृति को विश्व पटल प्रदर्शित करना था। इस आयोजन की महत्वता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए थाईलैंड , अमेरिका ,बंगलादेश सहित कई देशों से विदेशी विद्वान पहुंचे थे। संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति के अलावा एक और बात जो काफी चर्चा में रही वह थी संस्कृति मंत्री की अनुपस्थिति। सूत्र बताते हैं कि जिस कार्यक्रम को लेकर सारे देश की नजरें टिकी हुई थी उसी कार्यक्रम का उद्घाटन करने वाली संस्कृति मंत्री कार्यक्रम से नदारद रही। उपरोक्त उपेक्षा से आहत हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने अपनी पूरी भड़ास ट्विटर का बम फोड़ते हुए निकाल दी। जिसमें उन्होंने लगातार हो रही महाकौशल की उपेक्षा के मुद्दे को फिर से भड़का दिया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि जब सभी संस्कृति इंदौर व मालवा में उपलब्ध है तो गोंडवाना व महाकौशल की संस्कृति की परवाह क्यों की जाय। संस्कृति मंत्रालय के इस आयोजन के पहले ही दिन फूटे ट्विटर बम की गूंज से सारा माहौल सहमा सा दिखाई दिया। वही इस धमाके की धमक संस्कारधानी से होते हुए राजधानी के राजनीतिक गलियारों तक महसूस की गई। हालांकि बाद में पार्टी के डैमेज कंट्रोल सिस्टम ने पूरे मामले को बड़ी खूबसूरती से ठंडे बस्ते में कैद कर दिया।अब ये तो समय ही बताएगा कि कितना असरदार होगा ट्वीट का यह बम..

फिलहाल तो यही कहा जा रहा है कि..

भाजपा नेता के ट्वीट से सहमा,संस्कृति मंत्रालय का कार्यक्रम 


वहां थूंकने में जुर्माना होता होगा..यहां चाकू घलती है..


आपको मामा शिवराज की अमेरिका वाली सड़क का बयान तो याद ही होगा। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर विकास की कलम गड़े मुर्दे क्यों उखाड़ रही है।तो आपको बतादें की वाक्या ही कुछ ऐसा है। आपको तो पता ही होगा कि अमेरिका की सड़कों पर थूंकना एक कानूनन अपराध है। जहाँ थूंकने वाले को बाकायदा जुर्माना भरना पड़ता है। लेकिन  मामा की अमेरिका वाली सड़क में थूंकने पर जुर्माना नहीं बल्कि चाकू पड़ती है।

दरअसल संस्कार धानी में बीते दिनों सड़क पर थूंकने के चलते एक दंपत्ति पर चाकू से हमला कर दिया गया। बताया जा रहा है कि पति-और पत्नी ऑटो में सवार होकर शहर की सैर कर रहे थे। तभी पत्नी के अचानक सड़क पर थूंकने के दौरान पीछे से आ रहे एक राहगीर की गाड़ी पर इसके छींटे जा गिरे। यह बात राहगीर को काफी नगवार गुजरी और उसने बिना कुछ सोचे चाकू चला दी। इस दौरान दंपत्ति घायल भी हुए।भले ही पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्यव्वाहि की बात कही हो लेकिन  हादसे के बाद अब पीड़ित परिवार रास्ते में थूकने से पहले दस बार जरूर सोचेगा।

मामले के बाद भले ही आप सोचते रहो की किसकी गलती है..

पर हकीकत यही है कि...

वहां थूंकने में जुर्माना होता होगा..यहां चाकू घलती है..


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