Vikas ki kalam

दर दर भटकते, फुटबाल बने किसानों की पीड़ा को समझें कलेक्टर महोदय



     सेटेलाइट इमेज एवं भौतिक सत्यापन में अंतर पाए जाने के कारण कई किसान अधर में लटक गए है। जिनकी धान तुल गई है,कइयों की तो कम्प्यूटर में चढ़ गई है,  गोदाम के अंदर भी हो गई है, जो इस अचानक उजागर हुई विसंगति की परिधि में आ गए हैं, उन किसानों की आगे की सभी खरीद व भुगतान प्रक्रिया पर अचानक रोक लगाए जाने से हड़कंप की स्थितियां निर्मित हो गई हैं। किसान भटक रहे हैं, घुन के साथ गेहूं भी पिसता दिख  रहा है, जो किसान सही हैं, उन्हें भी खामयाजा भुगतना पड़ रहा है।... 

     भारत कृषक समाज के  के. के. अग्रवाल ने शासन प्रशासन से मांग की है की इस पर शीघ्र ही जांच करा कर स्थिति स्पस्ट की जाए, किसान दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। कोई अधिकारी कुछ बताने तैयार नहीं है। तहसीलदारों का कहना है कि उन्हें इस दिशा में जांच के कोई आदेश नहीं है।..

     एन वक्त पर सेटेलाइट का सर्वे उजागर किया गया जब लगभग खरीद अंतिम चरण में है। यदि करना ही था तो क्या इसे  पंजियन के समय ही नहीं किया जाना चाहिए था।इस भवर जाल में किसानों को जानबूझकर फसा दिया गया है।  इससे शीघ्र ही उन्हें मुक्त किया जाए।.... 


     कृषक समाज ने यह भी माँग की है कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की जाए तथा ये विशंगतियाँ, गड़बड़ियां क्यो हुईं?? , इसमे कोंन-कोंन लिप्त है, इसकी निष्पक्ष रूप से  जांच हो व इसमे दोषी पाए जाने वालो पर सख्त कार्यवाही की जाए। ... kk

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