शहर को कोरोना प्रकोप से बचाने वालों का कोई धनी धोरी नहीं..
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने किया मालवीय चौक पर प्रदर्शन..
जबलपुर/विकास की कलम
कोरोना की भयावह महामारी के प्रकोप से जब सभी बुद्धिजीवी अपने घरों में दुबके बैठे हुए थे उस दौरान शहर को इस महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। वे खुद लगातार कोरोना के प्रकोप से लड़ते रहे लेकिन शहर के नागरिकों को आंच तक नहीं आने दी। यही कारण है कि 24 घंटे शहर में तैनात खड़े इन असली को रोना फाइटर्स की बदौलत शहर घातक परिणामों से बचा रहा। लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि जिन योद्धाओं को पलकों में बिठा ना चाहिए था वे योद्धा ही आज सड़कों पर उतरकर न्याय की गुहार लगाने को मजबूर है।
हक मांगते ही सौतेले हो गए संविदा स्वास्थ्य कर्मी
जब तक निस्वार्थ भावना से संविदा स्वास्थ्य कर्मी मैदानों पर डटे रहे तब तक वह विभाग और सरकार की आंखों का तारा बने रहे। लेकिन जैसे ही संविदा स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा न्याय पूर्वक अपने हक की मांग की गई।तो सरकार ने उनसे किनारा कर लिया।इस सौतेले व्यवहार से होने वाली वेदना का अंदाजा बीते आधे माह से हड़ताल पर बैठे संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की दशा देखकर साफ-साफ लगाया जा सकता है। आपको बता दें की अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर के संविदा स्वास्थ्य कर्मी कलम बंद हड़ताल पर हैं।
जिम्मेदारों को जगाने निकाली गई संविदा न्याय यात्रा
शहर के जिला अस्पताल के बगल से बने टाउन हॉल में बीते 17 दिनों से हड़ताल पर बैठे संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने सोमवार की दोपहर जिम्मेदारों को जगाने और सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के उद्देश्य से संविदा न्याय यात्रा निकालने का फैसला लिया। विरोध प्रदर्शन के उद्देश्य से निकाली गई है यात्रा धरना स्थल गांधी टाउन हॉल से मालवीय चौक तक तय की गई। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में सड़कों पर उतरे संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने हाथों में तख्ती और काले रंग के गुब्बारों को लेकर अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की।
न्याय के नारों से गूंज उठा आसमान
अब तक शांतिपूर्वक तरीके से गांधी टाउन हॉल में विरोध प्रदर्शन दर्ज करा रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का उग्र स्वरूप देखकर शहर की जनता दंग रह गई। सैकड़ों की तादाद पर सड़कों पर उतरे महिला एवं पुरुषों ने एक स्वर में खुद के नियमितीकरण का जो नारा बुलंद किया उससे सारा आसमान गूंज उठा। इस दौरान सड़कों से गुजरने वाले राहगीर भी यह सोचने को मजबूर हो गए कि जिन्होंने खुद की जान की परवाह किए बिना कोरोना महामारी को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया आखिर उन्हें नियमित करने में सरकार को क्या परेशानी हो सकती है।
न्याय न मिला तो अनवरत जारी रहेगा आंदोलन
अपने नियमितीकरण के प्रति न्याय की मांग के लिए लगातार लड़ रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि जब देश के अन्य जिलों में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित कर दिया गया है तो फिर मामा शिवराज की सरकार में हम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है। इस दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष रवि बोहत ने जानकारी देते हुए कहा कि यह जंग अब न्याय के लिए अंतिम सांस तक लड़ी जाएगी जिसका एकमात्र उद्देश्य संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित कराना है। उन्होंने दो टूक शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि जब तक संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की मांग पूरी नहीं होती तब तक यह आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।