जबलपुर ।
आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के आरोपों से घिरीं सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल की संचालिका श्रीमति दुहिता पाठक को जिला अदालत से बड़ी राहत मिली। जिला एवं सत्र न्यायाधीश रविंद्र प्रताप सिंह चूंडावत के न्यायालय से श्रीमति पाठक को शुक्रवार को जमानत का लाभ मिल गया। ज्ञात हो कि दो दिन पूर्व ही मप्र उच्च न्यायालय के जस्टिस विशाल धगट की कोर्ट से उनके पति डॉ. अश्विनी पाठक और अस्पताल के मैनेजर कमलेश मेहतो को जमानत मिली थी। इस बात के साथ ही जिला अदालत ने पाया कि श्रीमति दुहिता के ऊपर लगे आरोप आधारहीन हैं। मामले में चालान पेश हो चुका है और अब तक अभियोजन पक्ष कोई महत्वपूर्ण ठोस आधार पेश नहीं कर पाया है। अभियोजन का आरोप था कि श्रीमति पाठक ने आयुष्मान योजना का लाभ लेने फर्जी मरीजों को भर्ती किया लेकिन वे इस बात की न्यायालय के समक्ष पुष्टि नहीं कर पाए। न्यायालय ने पाया कि श्रीमति पाठक के खिलाफ ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले जो उन पर लगे धारा ४६७ में लगाए गए आरोपों की पुष्टि कर सकें जिसके आधार पर न्यायालय ने उन्हें जमानत का लाभ दिया। श्रीमति पाठक की ओर से अधिवक्ता नारायण दुबे एवं नितिन दुबे ने पैरवी की।
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यह था घटनाक्रम...
२६ अगस्त को पुलिस एवं आयुष्मान अधिकारी के द्वारा संयुक्त रूप से सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल के बाजू में स्थित होटल में दबिश दी गयी थी। होटल के फर्स्ट फ्लोर सेकेंड फ्लोर एवम थर्ड फ्लोर के कमरों में मरीज भर्ती मिले थे। सभी आयुष्मान कार्ड धारी थे। स्वास्थ विभाग की जाँच मे यह भी आया था कि साधारण बीमारी होने के बाद भी आयुष्मान योजना कार्ड से उन्हें भर्ती किया गया था। प्रशासन ने होटलनुमा अस्पताल को सील कर दिया जबकि सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल का लायसेंस सस्पेंड कर दिया था।
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