जबलपुर।
बुंदेली भाषा हमारी लोक संस्कृति की परिचायक है जिसकी मिठास और रीति रिवाजों में हमारी जीवनशैली रचती बसती है। उक्त उद्गार अखिल भारतीय बुंदेलखंड साहित्य एवं संस्कृति परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी में राममंदिर सभागार मदनमहल में अतिथियों द्वारा व्यक्त किए।
काव्य गोष्ठी में भारत शासन से पदमश्री सम्मान के लिए चयनित होने पर डॉ. एम.सी. डाबर का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे ने की। मुख्य अतिथि महामहोपाध्याय आचार्य हरिशंकर दुबे,सारस्वत अतिथि आचार्य भगवत दुबे, विशिष्ठ अतिथि देवेन्द्र मोटरेजा थे। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विजय तिवारी किसलय, डॉ. सलपनाथ यादव प्रेम, कविवर अभय तिवारी, कथाकार प्रभात दुबे एवं शिक्षाविद, साहित्यकार आशुतोष तिवारी को उनके सृजनात्मक अवदान के लिए शाल श्रीफल अलंकरण एवं मानपत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम संयोजिका प्रभा विश्वकर्मा ने कहा कि डॉक्टर डाबर ने संस्कारधानी का नाम राष्ट्रीय क्षितिज पर गौरवान्वित किया है। प्रतुल श्रीवास्तव,डॉ संध्या श्रुति, राजेन्द्र मिश्रा एवं महब जबलपुरी डॉक्टर डाबर द्वारा की जा रही मानवीय सेवाओं को वंदनीय बताया। कार्यक्रम का संचालन राजेश पाठक प्रवीण एवं संतोष नेमा संतोष ने किया।इस अवसर पर अर्चना गोस्वामी एवं इंद्रपाल गोगी ने गीत-संगीत प्रस्तुत किया।
द्वितीय चरण में प्रभा शील के संचालन में बुंदेली काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें प्रकाश तिवारी,कुंजी लाल चक्रवर्ती, दीनदयाल तिवारी बेताल, राजेन्द्र मिश्रा, यशोवर्धन पाठक, गणेश श्रीवास्तव प्यासा, सुभाष शलभ, कालीदास ताम्रकार, डॉ.संध्या जैन श्रुति,लता गुप्ता, के.पी. पांडे वृहद, मुकुल तिवारी, ज्योति मिश्रा, सलपनाथ यादव प्रेम, एडव्होकेट प्रभा खरे , मीनाक्षी शर्मा,डॉ.दुर्गेश व्योहार, आशा श्रीवास्तव, गरजन सिंह बरकडे, विजय विश्वकर्मा ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की। डॉ. आर.एल. शिवहरे,विमला श्रीवास्तव, सुमन तिवारी, रश्मि पाठक, विनोद विश्वकर्मा, मीना पाठक, देवेंद्र पांडे, रमाकांत गौतम लालमती विश्वकर्मा, कोमल सिंह के साथ अनेकान्त, मंथनश्री, पाथेय, जागरण साहित्य समिति, आभा साहित्य संस्था के पदाधिकारियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही|