जबलपुर
मध्यप्रदेश का शिक्षा विभाग यूं तो पहले से ही अपने नित् नए कारनामों के लिए चर्चा में रहता है। लेकिन इस बार अधिकारियों की लापरवाही का खमियाजा एक बेकसूर बच्चे को भोगना पढ़ रहा है। लंबे समय से परीक्षाओं की तैयारी का ढिंढोरा पीटने वाला माध्यमिक शिक्षा मंडल परीक्षा के ऐन वक्त पर कुछ ऐसी चूक कर गया जिसके चलते शहर का एक बारहवीं कक्षा का विद्यार्थी , अब पेपर नहीं दे पाएगा। हालांकि विभाग इसे महज एक त्रुटि बता रहा है लेकिन उनकी एक जरा सी गलती के चलते विद्यार्थी के आगामी भविष्य पर क्या भूकंप आया। यह तो उस बच्चे का मन ही बता सकता है।
मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से जुड़ा हुआ है आपको बता दें कि बीते दिन बुधवार से ही माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वी और 12वीं की बोर्ड परीक्षा शुरू हो गई थी। 1 दिन बाद शुक्रवार को बारहवीं कक्षा का हिंदी का पेपर शहर के 50 केंद्रों में आयोजित कराया गया। इसी दौरान जबलपुर के रामपुर स्थित परीक्षा केंद्र में अचानक हंगामे की स्थिति खड़ी हो गई बताया जा रहा है कि एक बच्चे को बिना किसी कारण परीक्षा केंद्र से बाहर कर दिया गया।
मामले की भनक लगते ही परीक्षा केंद्र के बाहर भीड़ एकत्र होने लगी वही बच्चे के परिजन भी बिना किसी गलती के बच्चे को परीक्षा से वंचित करने की बात पर अधिकारियों से उलझ पड़े।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रामपुर परीक्षा केंद्र में कक्षा 12वीं के हिंदी के पेपर के दौरान 2 विद्यार्थियों को एक ही तरह के रोल नंबर देकर परीक्षा केंद्र में बिठा दिया गया था जब सामान्य निरीक्षण के दौरान पर्यवेक्षकों ने विद्यार्थियों के दस्तावेजों की सामान्य गणना की तो उन्हें इसका अंदाजा हुआ इसके बाद आनन-फानन में केंद्राध्यक्ष सहित जिला शिक्षा अधिकारी को मामले से अवगत कराया गया।
क्योंकि मामला काफी गंभीर था लिहाजा जबलपुर जिले के जिला शिक्षा अधिकारी ने उपरोक्त विषय को लेकर तत्काल ही माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से संपर्क करते हुए उन्हें पूरी जानकारी दी जिसके बाद मंडल ने एक छात्र का रोल नंबर कैंसिल करते हुए उसे परीक्षा केंद्र से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
अधिकारियों के तेवर देख रो पड़ा बच्चा
बिना किसी कारण जैसे ही विद्यार्थी को परीक्षा देने से रोकते हुए उसे परीक्षा केंद्र से बाहर किया गया वैसे ही विद्यार्थी की आंखों से आंसुओं की धार टपकने लगी । साल भर से तैयारी में जुटा हुआ विद्यार्थी अचानक बिना किसी गलती के कारण परीक्षा ना दे पाए तो उसकी स्थिति का भयावह होना लाजमी था इधर बच्चे ने विभागीय अधिकारियों से सवाल करते हुए कहा कि यह तो विभागीय गलती है इसमें उसका क्या दोष... हालांकि बच्चे के सवालों का जवाब किसी के पास भी नहीं था वही खुद की गलती पर पर्दा डालने के लिए विभागीय अधिकारियों ने सारा ठीकरा बच्चे के सर पर फोड़ते हुए उसे परीक्षा केंद्र से बाहर कर दिया।
यह है पूरा मामला
एक ही रोल नंबर के 2 विद्यार्थियों के परीक्षा केंद्रों में पहुंचने को लेकर जब विकास की कलम ने बारीकी से पड़ताल की तो पता चला कि रामपुर परीक्षा केंद्र में परीक्षा देने पहुंचे दोनों विद्यार्थियों का नाम विवेक था और ऐसे में दोनों के नाम एक जैसे होने पर उन्हें एक ही रोल नंबर दे दिया गया। सामान्य परीक्षण के दौरान जम पर्यवेक्षकों ने दोनों के एडमिट कार्ड चेक किए तो उन्हें एक जैसे रोल नंबर होने पर काफी हैरानी हुई। इधर विद्यार्थियों की माने तो उन्हें जो रोल नंबर दिया गया था वह उसी हिसाब से परीक्षा केंद्र पहुंचे थे अब ऐसे में विभाग द्वारा हुई चूक का खामियाजा वह क्यों भरें।
सिक्के का दूसरा पहलू यह भी
आपको बता दें कि बोर्ड परीक्षाओं में इस तरह की कोई त्रुटि ना हो इसके लिए पहले से ही काफी गंभीर रणनीति बनाई जाती है जिसके पीछे उद्देश्य होता है की किसी भी चूक के चलते बच्चों का भविष्य गड़बड़ ना हो सके। वही प्रवेश पत्रों को डाउनलोड करने से लेकर उनके परीक्षण के पश्चात बच्चों तक पहुंचाने की पूरी जिम्मेदारी शाला के प्राचार्य एवं शिक्षक गण की होती है। ध्यान दिया जाए तो माध्यमिक शिक्षा मंडल के साथ-साथ शाला के प्राचार्य एवं शिक्षक गणों की भी लापरवाही इस पूरी घटना में देखने को मिली है।
कौन लेगा इस लापरवाही की जिम्मेदारी
क्योंकि अब मामला घटित हो चुका है लिहाजा इसकी भरपाई किसी न किसी को तो करनी होगी। हाल फिलहाल में बच्चे के सर पर ठीकरा फोड़ते हुए सारा पाप मर दिया गया लेकिन विकास की कलम अपने इस लेख के माध्यम से यह पूछना चाह रही है कि यदि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते रोल नंबर दिए जाने में लापरवाही बढ़ती गई तो क्या इस लापरवाही के लिए सिर्फ बच्चे पर ही सजा का प्रावधान है या फिर जिम्मेदार अधिकारी के ऊपर भी कार्यवाही की जाएगी।