विशाल रजक तेन्दूखेड़ा
थाना क्षेत्र में बुधवार रात जबलपुर मार्ग पर एक अज्ञात व्यक्ति की वाहन की टक्कर से मौत के बाद 24 घंटे बीत जाने के बाद भी मृतक की शिनाख्त नहीं हो सकी। ऐसे में नियमानुसार पुलिस द्वारा शव को दफनाया जाना था, लेकिन इस प्रक्रिया में प्रशासनिक उदासीनता और असंवेदनशीलता के जो दृश्य सामने आए उससे यह अंदाजा हो गया कि सामान्य सी सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन कितना जिम्मेदार है और पुलिस व प्रशासन के वीच कितना समन्व्यय है। दरअसल शिनाख्ती ना होने के बाद जब शव को दफनाने के लिए शमशान ले जाया गया तो गड्ढे के लिए कोई भी इंतजाम नहीं हुआ और उसके चलते एक या दो नहीं पूरे 5 घंटे तक शव इसी तरह से शमशान में पड़ा रहा। उल्लेखनीय है कि मृतक का सिर दुर्घटना में काफी बुरी तरह बिगड़ गया था और उसके पास से भी कोई पहचान संबंधी दस्तावेज नहीं मिले, और पुलिस द्वारा अन्य थाना पुलिस को सूचित किए जाने के बाद भी उसकी पहचान नहीं हो सकी है।
लापरवाही या असंवेदनशीलता:
सड़क पर मिले अज्ञात शव को दफनाने के लिए पांच घंटे तक नहीं मिल सकी सुविधा
तेज धूप में जेसीबी का इंतजार करते रही तेन्दूखेड़ा पुलिस व कर्मचारी- नगर परिषद द्वारा एक दूसरे पर डालते रहे जिम्मेदारी
दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा नगर परिषद क्षेत्र का मामला मुक्तिधाम में पांच घंटे धूप में पड़ा रहा शव
नगर परिषद ने नहीं खोदा शव के लिए गड्ढा
शुक्रवार को जब नियमों के तहत पुलिस द्वारा शव का पंचनामा और पोस्टमार्टम कार्यवाही के बाद शव को दफनाने की कार्यवाही शुरू की तो इसके लिए नगर परिषद को शमसान में गड्ढा खोदने के लिए कहा गया था और उनके द्वारा गड्ढा खोदे जाने की पुष्टी भी कर दी गई थी, जिसके बाद शव को शव गृह से करीब 9 बजे बाहर निकालकर दफनाने के लिए ले जाया गया लेकिन जब शव को दफनाने के लिए श्मसान लाया गया तो वहां पर गड्ढा खोदा हीं नहीं गया था। ऐसे में वहां शव को धूप में रखते हुए चार घंटे से अधिक गड्ढा खोदे जाने के लिए पुलिस व नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच इस संबंध में बातचीत होती रही, लेकिन गड्ढा नहीं खोदा गया और करीब 5 घंटे बाद सीएमओ को मामले की सूचना दिए जाने पर जेसीबी से गड्ढा खोदा जा सका।
जेसीबी के नाम पर एक दूसरे पर डाली बात
इस असंबेदनशीलता के पीछे नगर परिषद के पास जेसीबी ना होना कारण बताया जा रहा है, लेकिन साथ ही नगर परिषद के कर्मचारियों द्वारा जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाला जाना भी स्पष्ट हो रहा है। दरअसल गड्ढा खोदे जाने की पुष्टी के बाद जब नगर परिषद के सफाई कर्मचारी और पुलिस श्मसान पहुंचीं तो वहां गड्ढा ना होने पर पूछताछ की गई और जब कर्मचारियों से इस संबंध में पूछा तो पहले इसकी पुष्टी नगर परिषद के बाबू द्वारा की जाना बताया गया, फिर उनसे चर्चा करने पर इसकी जिम्मेदारी अन्य पर डाल दी गई। ऐसे हालातों में के बाद इसमें नपा उपयंत्री और कुछ जनप्रतिनिधि भी शामिल हो गए जिनके द्वारा जेसीबी मशीन के आने और उससे गड्ढा खोदे जाने की बात कही गई। लेकिन जेसीबी आने ओर उससे गड्ढा खोदे जाने के नाम पर चार घंटे नपा कर्मचारी और पुलिस के बीच चर्चा होती रही लेकिन जेसीबी नहीं आई। इस दौरान जहां नगर परिषद के सफाई कर्मचारी अपनी ड्यूटी पूरी होने के बाद भी शव के साथ श्मसान में ही बैठे रहे, वहीं पुलिस अमला भी अपनी कार्यवाही को आगे बढ़ाने के इंतजार करता रहा। आखिरकार इस मामले में नपा के सीएमओ प्रेमसिंग चौहान का हस्तक्षेप हुआ और मौके पर जेसीबी पहुंची और गड्ढा खोदे जाने के बाद पुलिस न एएसआई मुबारक खान व नपा सीएमओ की उपस्थिति में शव को दफनाया गया
दफनाने के इंतजार में शव मारने लगा सड़ांध
अज्ञात वाहन की टक्कर से अपनी जिंदगी खो चुके व्यक्ति जहां मौत के कई घंटो के बाद भी अपनी शिनाख्ती का इंतजार करता रहा, वहीं शिनाख्ती के बाद भी उसे दफनाने में ऐसे हालात बने । चूंकि गड्ढा खोदे जाने की पुष्टी के चलते शव को ट्रेक्टर ट्रॉली से श्मसान ले जाया गया लेकिन व्यवस्था ना होने पर अज्ञात व्यक्ति का शव कई घंटो धूप में इसी तरह से ट्रॉली में रखा रहा जिससे कई घंटो पूर्व हुई मौत और धूप में रखे रहने से सड़ जाने पर बदबू भी मारने लगा था, जिसके चलते शव के आसपास मौजूद लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। ऐसे में भले ही शव को दफना दिया गया हो लेकिन एक मृत इंसान को लेकर जिस तरह की असंबेदनशीलता नगरपरिषद द्वारा दिखाई गई यह एक सबाल खड़े करती है, वहीं गड्ढा खोदे जाने की पुष्टी कर देना और बाद में इसके लिए जेसीबी तलाश करना भी यह दर्शाता है कि किस तरह आपसी सामंजस्य के अभाव में जिम्मेदार अपने कार्य से दूरी बना लेते है।