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सूखा गाँव में सब कुछ सूखा..जैसा नाम वैसा ग्राम..


छपारा / अमित श्रीवास्तव

जनपद क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव का नाम सूखा है और सूखा गांव में वर्तमान समय में सूखे जैसे हालात हैं, जहां भीषण पेयजल संकट कई वर्षों से बना हुआ है इसे दूर करने के लिए शासन प्रशासन के द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए। बताया जाता है कि सूखा गांव में पेयजल संकट इस कदर का है कि गाँव से बाहर एक किलोमीटर दूर जंगलों के बीच मौजूद कुएं से पानी लाने को मजबूर हैं ग्रामीण, बताया जाता है कि छपारा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले मुंडरई पंचायत के सूखा माल गांव में कई वर्षों से पेयजल संकट बना हुआ है. जिसके चलते ग्रामीण एक किलोमीटर दूर जंगल के बीचो बीच मौजूद कुएं से पानी लाने को मजबूर हैं लेकिन अब तक पेयजल व्यवस्था को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।


गांव का नाम सूखा हालात भी गांव में सूखे जैसे :-

गाँव से एक किलोमीटर दूर जंगल के बीच मौजूद कुएं से पानी लाने को मजबूर ग्रामीण :-


 सरपंच रामस्वरूप परते बताया कि विकास यात्रा के दौरान 24 लाख से अधिक लागत से ही जल प्रदाय कार्य योजना का भूमि पूजन भी किया गया लेकिन अब तक कोई काम इस पर शुरू नहीं किया गया है. जिसके चलते आज भी सूखा माल गांव में भीषण पेयजल संकट की स्थिति बनी हुई है गौरतलब है कि सरकार के द्वारा जल जीवन मिशन योजना के तहत हर घर नल हर घर जल योजना चलाई जा रही है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत यह है कि आज भी कई गांव ऐसे हैं जिनमें पेयजल संकट बना हुआ है बताया जाता है कि सूखा गांव में बीते कई वर्षों से सूखा जैसे हालात हैं और यहां पर पीने के पानी को लेकर जो समस्या कई वर्षों पुरानी है जिस समस्या का समाधान आज भी नहीं किया गया है ।


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इतना ही नहीं इस गांव में मवेशी और लोगों के पीने और नहाने धोने के लिए जो पानी इस्तेमाल किया जाता है वही एक ही गांव से करीब 1 किलोमीटर दूर जंगल के बीच में कुआं है. जहां सुबह से महिलाएं बच्चे और पानी ले जाने के लिए कतार में कुएं के आसपास देखे जा सकते हैं बताया जाता है कि बैलगाड़ी में पानी की टंकी रखकर घरों में इस कुएं से पानी ले जाया जाता है सब लोग घर में अपने पानी का उपयोग कर पाते हैं हर घर में नल होना चाहिए यह मांग ग्रामीणों के द्वारा की जा रही है लेकिन यहां पर अब तक उनकी मांग पूरी नहीं की गई है. कुएं में पानी लेने पहुंचे गांव की एक बुजुर्ग महिला ने यह भी बताया कि इस कुएं में पानी ले जाने को लेकर जान को भी खतरा बना रहता है जंगल में जंगली जानवर हैं जो उन पर हमला भी कर सकते हैं बावजूद इसके वह अपने और अपने परिवार की प्यास बुझाने के लिए इस कुएं से पानी ले जाने को मजबूर हैं.




विकास यात्रा में पेयजल प्रदाय के लिए किया गया भूमि पूजन काम आज भी नहीं किया शुरू


 बताया जाता है कि पिछले दिनों विकास यात्रा के दौरान यहां पर सिवनी बालाघाट सांसद डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन विधायक दिनेश राय मुनमुन भी पहुंचे थे जिनकी मौजूदगी में सूखा गांव में पेयजल समस्या से निपटने के लिए 24 लाख रुपए से अधिक लागत से पेयजल समस्या के समाधान किए जाने को लेकर भूमि पूजन भी किया गया लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आज भी कोई काम इस पर शुरू नहीं किया गया है समस्या जस की तस बनी है जिसको लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश है ग्रामीणों ने यहां तक कह दिया कि गांव में यदि पेयजल संकट से सुधारा नहीं गया तो आने वाले वक्त में वह मतदान का बहिष्कार भी वह कर सकते हैं लोगों में पेयजल संकट को लेकर खासा आक्रोश सूखा माल गांव में देखा जा रहा है जिस तरह से वहां लोग पानी को लेकर जद्दोजहद कर रहे हैं जिसको लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।


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