विशाल रजक तेन्दूखेड़ा/दमोह
आमतौर पर पुलिस और खाकी वर्दी का रौबदार और कड़क रूप ही लोगों के जहन में होता है, और पुलिस की कार्यशैली और जिम्मेदारी के चलते हम उसका वह मानवीय पहलू देख ही नहीं पाते। जिसके चलते पुलिस महकमे का हम जैसे ही होने का एहसास आम लोगों को होता ही नहीं। ऐसे में यदि कोई पुलिस कर्मी अपने कार्यों से पुलिस की नई छवि बनाता है तो निश्चित ही प्रशंसा का पात्र है। ऐसा ही उदाहरण पेश किया मप्र के दमोह जिले के तेंदूखेड़ा थाना में पदस्थ एक महिला एसआई सुरभि चौहान ने जिन्होने एक वृद्ध महिला को सड़क पर पड़ा देखकर सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी ही नहीं निभाई बल्कि उससे आगे जाकर मानवीय मूल्यों को दिखाते हुए एक परिवार के सदस्य की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाई। दरअसल सोमवार को एक वृद्ध महिला सड़क पर बेहोश पड़ी थी जिसे महिला एसआई ने देखा तो उसके इलाज के साथ उसकी आवश्यक व्यवस्थाएं करते हुए उसे घर तक छोड़ा।
वृद्धा को बेहोश देखा तो महिला एसआई ने बेटी की तरह निभाई अपनी जिम्मेदारी
मप्र के दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा थाने में पदस्थ महिला सब इंस्पेक्टर ने बुजुर्ग महिला का कराया इलाज-
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गंभीर रूप से बीमार थी वृद्ध महिला
सोमवार दोपहर महिला एसआई जब ड्यूटी पर जा रही थी तब उन्हें रास्ते में पिपरई निवासी जमनी अहिरवाल 80 वर्ष सड़क किनारे घायल अवस्था में पड़ी दिखाई दी। महिला को देखकर उनके द्वारा वाहन को रोककर महिला को अपने वाहन में बिठाया और उसे सीधे स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंची। यहां पदस्थ डॉक्टर अंजुल नामदेव ने महिला का परीक्षण किया तो उसका ब्लड प्रेशर अत्याधिक बढ़ा हुआ था। महिला खुजली की बीमारी से3 ग्रसित है। संभवतः वह इसी का इलाज करवाने जा रही थी लेकिन ब्लड प्रेशर बड़े होने के चलते वह रास्ते में चक्कर खाकर गिर गई।
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सिर्फ मदद नहीं वृद्धा का सहारा बानी लेडी सिंघम
आमतौर पर ऐसे मामलों में अस्पताल पहुचांने और इलाज की व्यवस्था होने के बाद पुलिस की जिम्मेदारी पूरी हो जाती है, लेकिन महिला एसआई ने जब महिला के संबंध में जानकारी ली तो सामने आया कि महिला के पति की काफी पहले मौत हो चुकी है और उसके दो बेटे है जो रोजी रोटी कमाने के लिए जबलपुर में रहते है। इन स्थितियों को देखकर सबसे पहले एसआई ने उसका इलाज सुनिश्चित किया और उसके बाद महिला के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करते हुए उसे घर तक छोड़ा।
ग्रामीणों को सौंपी देखभाल की जिम्मेदारी
वहीं ग्राम में महिला को छोड़ने के दौरान एसआई ने ग्रामीणों से चर्चा करते हुए उनसे निवेदन किया कि महिला को बीमारी की हालत में इस तरह ना जाने दे और हो सके तो बीमार होने पर कोई उसे अपने साथ लेकर अस्पताल जाए और इस दौरान यदि कोई समस्या आती है तो उन्हें फोन किया जाए वह हरसंभव मदद करेगी। बहरहाल बीमारी की हालत में घर से अकेली निकली महिला को घर बापस लौटने तक कई खुशियां मिल ही गई थी और अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए महिला ने भी अपना आशीर्वाद देते हुए महिला एसआई के पैर छूने का प्रयास किया तो एसआई ने महिला को अपनी दादी के समान बताते हुए ऐसा करने से रोक दिया।
साड़ी पाकर गदगद हुई वृद्धा
एसआई सुरभि चौहान ने पहले वृद्धा इलाज सुनिश्चित कराया, फिर उसके बाद उसकी भूख को समझकर पहले नाश्ता कराया जिसके बाद महिला की तबियत पहले से बेहतर लगने लगी। उन्होंने महिला को उसकी पसंद की एक नई साड़ी दिलाई और फिर उसके बाद महिला को फल आदि की व्यवस्था कर उसे घर छोड़ने के लिए निकल पड़ी। अपने साथ हुए इस आत्मीय व्यवहार से महिला की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
इनका कहना है
इस घटना के संबंध में महिला एसआई सुरभि चौहान से चर्चा किए जाने पर उन्होने कहा कि हमें हमेशा निर्देश रहते है कि परेशान और पीड़ित लोगों की जो भी मदद हो सके की जाए और निर्देश ना भी हो तो भी ऐसी जिम्मेदारियां हम सबको निभानी ही चाहिए। इस घटना में जहां एक बीमार वृद्ध महिला को इलाज के साथ नई खुशियां मिल गई। वहीं मुझे मेरी वर्दी की असली जिम्मेदारी निभाने का मौका मिला।