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राज्य शिक्षा केंद्र की योजना एक्सप्रेस हुई बेपटरी आखिर कब होगा..आर.एस.के. की कार्यप्रणाली में सुधार







जबलपुर

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार शासन-प्रशासन ने पूर्व में तो शासकीय शालाओं को एकीकृत कर दिया अर्थात दो- तीन शालाओं को मिलाकर उन्हें एकीकृत कर उनके शाला डाईस कोड एक कर दिए एवं एकीकृत कर प्रदेश की समस्त शालाओं की फंडिंग में कटौती कर दी तत्पश्चात एक तुगलकी फरमान जारी कर समस्त शाला प्रबंधन समिति के खातों को बन्द कर उनमें जमा समस्त राशियां वापिस अपने खाते में करोड़ों रुपए जमा कर लिए। 




मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर ने आगे बताया कि कुछ समय बाद नवीन खाता एस. बी. आई.बैंक में खोलने का फरमान जारी कर दिया, समस्त शाला प्रबंधन समिति सदस्य उसमें उलझे रहे, जिनको बड़ी मशक्कत के बाद बैंक में खाता नंबर मिला किन्तु राज्य शिक्षा केंद्र ने उसमें उलझानें के बाद कोई राशि नहीं भेजीं।वित्तीय वर्ष 2022-23 में सालभर शाला प्रधान भिन्न-भिन्न आदेशों के तहत प्रवेश उत्सव, राष्ट्रीय पर्व, चुनाव पूर्व शालाओं में रंगाई- पुताई, पंखे, लाइट फिटिंग, मरम्मत कार्य,विधानसभा डाक आदि कार्य अपने जेबों से खर्च कर आदेशों का परिपालन करते रहे ।




किन्तु राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल ने वर्ष 2022-23 की राशियों को दस माह तक बैंक में जमा रखकर ब्याज रखने के बाद वित्तीय वर्ष के अन्तिम समय शालाओं में मात्र 75 प्रतिशत राशि प्रदान की।वहाँ भी जटिल समस्या बन गयी और संस्था प्रमुख उलझा दिए गए।अनेक शाला प्रधान तो अपने जेबों से खर्च की राशि भी नहीं निकाल सकें। मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर ने आगे बताया कि वर्ष 2022-23 में प्राथमिक- माध्यमिक विद्यालय में खेल सामग्री की राशि 5000 रूपये एवं 10000 रूपये भी नहीं भेजीं।विगत दो वर्षों से छात्र -छात्राओं को गणवेश वितरण योजना का भुगतान भी नहीं हुआ। 




शालाओं के गरीब बच्चे एवं पालकों ने साल भर शिक्षकों को खरी -खोटी सुनाई जिसका श्रेय भी राज्य शिक्षा केंद्र को जाता है। जैसे कि शासकीय प्राथमिक-माध्यमिक शालाओं में बच्चों से किसी भी तरह से कोई फीस नहीं ली जाती है,ऐसी स्थिति में शाला के प्रत्येक कार्य करवाना शाला प्रधान की जिम्मेदारी होती हैं, जिसे पूरा करने के लिए उसे अपनी जेब से खर्च कर शाला का सुचारू संचालन करना पड़ता है।




मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के दिलीप सिंह ठाकुर, अरविन्द विश्वकर्मा, भास्कर गुप्ता, दुर्गेश खातरकर, पुष्पा रघुवंशी, रेनू बुनकर, अर्चना भट्ट, विश्वनाथ सिंह, आकाश भील, देवराज सिंह, सुल्तान सिंह, अजब सिंह, रामदयाल उइके, रामकिशोर इपाचे, ब्रजवती आर्मो, सुमिता इंगले, अम्बिका हँतिमारे, आदेश विश्वकर्मा, नितिन तिवारी, इमरत सेन, माधव पाण्डेय, संजय उपाध्याय, ऋषि पाठक, धर्मेंद्र परिहार, विशाल सिंह,




 महेश मेहरा, भोजराज विश्वकर्मा, जी आर झारिया, मनोज बागरी, चंद्रभान साहू, गंगाराम साहू, भोगीराम चौकसे, सुरेंद्र परसते, भागवती परसते, शायदा खान, राशिद अली, पवन सोयाम, मदन पांन्द्रो, मनीष झारिया, विष्णु झारिया, अजय श्रीपाल, पंकज जैन, सुधीर गौर, सतीश खरे, पूर्णिमा बेन, सिया पटेल, शबनम खान, अंजनी उपाध्याय इत्यादि ने शासन प्रशासन एवं आयुक्त, राज्य शिक्षा केंद्र,भोपाल से मांग की है,कि वित्तीय वर्ष 2023-24 नवीन सत्र की सभी शालाओं की समस्त राशि शत-प्रतिशत अतिशीघ्र भेजीं जावे ताकि समस्त शासकीय शालाओं के कार्य सुचारू रूप से सम्पादित हों सकें।


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