विकास की कलम
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में भड़काऊ भाषण देकर साम्प्रदायिक सौहाद्र पर प्रहार करने वालों और जनता को भड़का कर स्वहित की रोटियां सेंकने वालों के दिन भर गए है। वे जो अक्सर सोचा करते थे कि शिकायतकर्ता को सेट कर अपने गुनाहों पर पर्दा डाल लिया करेंगे उनके लिए सुप्रीम कोर्ट ने बज्र का प्रहार करते हुए अपना नया फैसला सुना दिया है। इस नए फैसले के अनुसार यदि ऐसा कोई भी वाक्या सामने आता है तो बिना किसी शिकायतकर्ता की राह तके मामले को स्वतः संज्ञान में लेते हुए मामला दर्ज किया जाएगा।
हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फटकार लगाते हुए अपना रुख साफ कर दिया है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण दिया जाए, वे बिना किसी शिकायत के एफआईआर दर्ज करने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया है कि हेट स्पीच देने वाले व्यक्तियों के धर्म की परवाह किए बिना ऐसी कार्रवाई की जाए ताकि भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को जारी रखा जा सके।
अगर लापरवाही हुई तो मानी जायेगी कोर्ट की अवमानना
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को सख्ती से अमल में लाने के लिए यह स्पष्टीकरण भी किया है कि यदि किसी मामले को दर्ज करने के दौरान लापरवाही या हीला हवाली की जाती है उसे स्पष्ट रूप से कोर्ट की अवमानना समझा जाएगा। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह कड़ा रुख तब सामने आया जब शीर्ष अदालत हेट स्पीच के मामलों के खिलाफ कार्रवाई करने में राज्यों द्वारा कथित निष्क्रियता दिखाने के बैच की सुनवाई कर रहा था। हेट स्पीच को एक गंभीर अपराध करार देते हुए कोर्ट ने आगे कहा कि हेट स्पीच देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित करने में सक्षम है।
दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पहले से ही जारी है आदेश
बता दें कि कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आज अपने 2022 में दिए गए उस आदेश का दायरा बढ़ाया है जिसने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस को हेट स्पीच मामलों के खिलाफ स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हेट स्पीच के खिलाफ मामले दर्ज करने को कहा है।