यहां शमशान भी ...
हिन्दू-मुसलमान हो गया..
देवास- अमित बागलीकर
जीते जी तो दुनियादारी से चैन न मिल सका..कम से कम मरने के बाद तो चैन से लेटने दो..
आजकल देवास स्टेशन रोड के समीप बने शमशान के कुछ ऐसे ही हाल है। अगर वाकई मुर्दे बोल पाते तो शायद यही बोलते की...हिन्दू मुसलमान जिंदा के लिए होता है मरकर तो वह सिर्फ मिट्टी हो जाता है। लेकिन इंसान की हवस और उसका खुद को दूसरे से बेहतर बताने का गुरुर अब मुर्दों को भी नहीं छोड़ रहा है।
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मामला मध्यप्रदेश के देवास जिले का है। जहां लंबे समय से शमशान के आधिपत्य के लिए हिन्दू-मुसलमान का आपसी शीत युद्ध चल रहा है। लेकिन बीते सोमवार को अचानक यह द्वंद कुछ ज्यादा ही गर्मा गया। विवादित शमशान में देखते ही देखते हजारों की भीड़ जमा हो गई। भारी संख्या में पहुंचे दौनों धर्मो के लोगों के देख प्रशासन भी भौचक्का रह गया।
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स्टेशन रोड के विवादित कब्रिस्तान का मामला सोमवार को इतना गरामाया गया, की दोनों ही पक्षों के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए थे। हालांकि उन्हें गेट के बाहर ही रोक दिया गया। आपको बतादें की पूरा विवाद जमीन के आधिपत्य से जुड़ा है विवाद की स्थिति पर एसडीएम न्यायालय में मामला विचाराधीन हैै। जानकारी लगते ही भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद था
स्टेशन रोड़ पर शमशान व कब्रिस्तान का विवाद,
मुस्लिम सामाज के बोर्ड पर वाल्मिकी समाज ने बोर्ड कब्रिस्तान में लगाए,
मुस्लिम समुदाय, हिन्दू संगठन की जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन अधिकारियों के संग हुई बंद कमरे की चर्चा में दोनों बोर्ड हटाने के लिए गए निर्णय,
कोर्ट में चल रहा है प्रकरण, यथास्थिति में रहने के दिए थे निर्देश,
दोनों पक्षो ने अपने अपने बोर्ड हटाए, जमीन का कर रहे दोनों पक्ष दावा, भारी पुलिस बल रहा तैनात, असमंजस की स्थिति जस की तस,
बैठक में प्रशासन से जल्द फैसले की, कि गयी मांग,
अपने अपने धर्म का बोर्ड लगाने की होड़
दरअसल पूरा विवाद कब्रस्तान के बाहर लगे बोर्ड को लेकर गरमाया हुआ है। जो कि कब्रिस्तान स्थित सर्वे नंबर 84 को लेकर है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस जमीन का वे कब्रिस्तान के रूप में उपयोग करते आ रहे हैं इधर वाल्मीकि समाज का कहना है कि यह जमीन स्टेट समय 1940 से ही मरघट के रूप में रिकार्ड में दर्ज है।
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प्रशासन की सूझबूझ से टला विवाद
मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक शर्मा पहुंचे और दोनों पक्षों को समझाईश देकर समझाते रहे। लेकिन दोनों पक्ष के लोग नही माने तब वरिष्ठ अधिकारी एएसपी व एडिशनल कलेक्टर ने दोनों पक्षों को समझाईश देकर अजाक थाने पर करीब 3 घंटे तक बातचीत की गयी। दोनों पक्षों द्वारा 29 अगस्त तक एसडीएम कोर्ट में लगी तारीख के निर्णय का इंतजार किया जाने का कहा गया है।
साथ ही क़ब्रिस्तान के बाहर लगे दोनों पक्षों के बोर्ड भी निकाले गए है। जिसके बाद मामला शांत हुआ। मौके पर भारी पुलिस बल व गहमा गहमी का माहौल रहा।
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