काय मौसिया..ये क्या किया..
बिटिया को किताब की जगह, मालिश का तेल थमा दिया..
अरे बिटिया पढ़ लिख कर क्या करोगी तेल की शीशी लो और स्पा संभालो...
रही बात पैसों की तो... मौसिया है ना...
तुम्हें पैसों की कभी कोई कमी नहीं होगी...
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कौन सा दरिंदा है जो छोटी छोटी बच्चियों को पढ़ाई के रास्ते से हटा कर स्पा सेंटर में काम करवाने की समझाइस दे रहा है।
आखिर ऐसा क्या कारण है की बच्चियों ने अपने 12th क्लास का एग्जाम देना भी जरूरी नहीं समझा और परीक्षा वाले दिन भी स्पा सेंटर में काम करने चली गई।
सवाल बहुत से हैं लेकिन एक-एक करके विकास की कलम मामले से जुड़े हर पहलू की बाल की खाल कुरेदगी....
दरअसल कच्ची उम्र में ज्यादा पैसे का लालच देकर बच्चियों को स्पा मसाज सेंटर का कुछ ऐसा चस्का लगाया गया की लड़कियों का पढ़ाई लिखाई से ध्यान ही उखड़ गया।
बच्चियां रोजाना अपने घर से निकलती तो थी स्कूल की ड्रेस पहन कर स्कूल पढ़ने के लिए लेकिन अचानक उनका रास्ता स्पा सेंटर की ओर तब्दील हो जाता।
यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ बल्कि लंबे समय से योजनाबद्ध तरीके से बनाए गए षड्यंत्र का नतीजा था कि बच्चियों खुद ब खुद स्पा मसाज सेंटर की ओर खींचती चली गई।
अब आलम यह है की बच्चियों को स्पा मसाज सेंटर की कुछ ऐसी लत लगा दी गई है कि उसके अलावा उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा।
मामले का खुलासा तब हुआ जब एक परिवार की बिटिया सुबह 12वीं कक्षा का एग्जाम देने के लिए घर से निकली लेकिन स्कूल ही नहीं पहुंची।
जब स्कूल वालों ने परिजनों से संपर्क किया कि आपकी बच्ची 12वीं कक्षा का एग्जाम देने क्यों नहीं आई तब मामले की एक-एक करके सारी परत खुलने लगी।
इधर संदिग्ध गतिविधियों से अनजान बच्ची के परिजनों ने स्कूल प्रशासन और एक समाज सेवी संगठन के साथ मिलकर बच्ची के ठिकाने पर धाबा बोला।
लेकिन जो हकीकत सामने आई उस से बच्ची के परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई।
इधर बच्चियों के भविष्य को गलत रास्ते में धकेलने वाले इस दरिंदे को सबक सिखाने के लिए परिजनों ने पुलिस प्रशासन की शरण ली।
लेकिन मामले को तूल पकड़ता देखते हुए अचानक से कई सफेद पोश रहनुमा आरोपी की पैरवी करने के जुगाड़ में थाने के अंदर तक पहुंच गए।और यहां से सिस्टम की तोड़ मरोड़ एवं सेटिंग के जुगाड़ की नई कहानी शुरू होती नजर आने लगी।मीडिया की नजरों से बचते बचाते कुछ अनजान चेहरे खाकी के साथ गुड़गुड़ाहट करना शुरू करने लगे।
बात साफ है कि बड़े मामले को पचाने के लिए बड़ा पाचन तंत्र होना बेहद जरूरी है और बड़े पाचन तंत्र को तंदुरुस्त करने के लिए हाजमे की बड़ी गोली.... या फिर यूं कहें की महंगी गोली खाना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है।
सूत्र बताते हैं की घटना के कुछ ही घंटे के बाद से ही हाजमे की महंगी महंगी गोलियों की पेशकश किया जाना शुरू हो गया।
पूरे मामले को लेकर मौसम कुछ ऐसी करवट लेने लगा कि आरोपी की जगह बच्ची के परिजन और बच्ची ही मुख्य आरोपी की भूमिका में खड़े होते दिखाई देने लगी।
वही सफेद पोश रहनुमाओं की गोद में छुप कर बैठा हुआ आरोपी अभी सिस्टम को बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था।
उधर बच्ची की मां दोपहर 2:00 बजे से लेकर शाम के 5:00 बजे तक सिर्फ और सिर्फ अपनी शिकायत दर्ज करवाने की आस देखती रही।
लेकिन दोपहर से शाम के बीच में जो पल बीता उसे पल में हजारों बार खुद बच्ची के परिजन को कटघरे में खड़ा करके दोषी ठहराने का भरपूर प्रयास किया गया।
इससे पहले की मामले को कोई नया मोड़ दिया जाता कलम के सिपाही अपना लाव लश्कर लेकर पीड़िता की मदद के लिए आगे बढ़ गए।
फिर क्या था मामले को तूल पकड़ता देख आनन फानन में प्रकरण दर्ज करते हुए अग्रिम कार्यवाही शुरू कर दी गई।
हालांकि मौसिया अभी भी हाजमे की गोली अपने हाथ में लेकर सही पाचन तंत्र वाले नेक बंदे का इंतजार कर रहे हैं।
लेकिन हालातो की माने तो माहौल कुछ इस तरह का हो गया है कि अगर हाजमे की गोली खाई तो दस्त होने का खतरा भी बन सकता है।
इससे पहले की मौसिया अपनी कारगुजारियों पर पर्दा डाल पाए.....अब हर आने जाने वाला उनसे सिर्फ यही सवाल कर रहा है
काय मौसिया..ये क्या किया..
बिटिया को किताब की जगह, मालिश का तेल थमा दिया..