मोहन की सम्मोहन बंशी सुन....
खाली हो रहा कांग्रेस का खेमा...
विकास की कलम /जबलपुर
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार सम्मोहन की ऐसी बंशी बजा रही है की इस की धुन में मदहोश होकर राज नेता हाँथ का दमन छोड़ कमल का पुष्प थाम रहे है...
राजधानी से बज रही मोहन की बंसी का सबसे ज्यादा असर संस्कारधानी की राजनीति में हो रहा है। जहां एक के बाद एक कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं। मानो कल की ही बात थी कि संस्कारधानी जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू...जो कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता एवं जिला अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद को संभाल रहे थे। मोहन की बांसुरी के धुन के ऐसे दीवाने हुए एक ही झटके में सारा राजपाठ छोड़ कमल के दीवाने हो गए....
इस परिवर्तन से अभी तक कांग्रेस पार्टी के घाव भरे भी नहीं थे की..एक बार फिर से परिवर्तन का हो हल्ला कांग्रेस पार्टी को सताने लगा…
शुक्रवार की रात से ही राजनीतिक गलियारों में एक बड़ी हलचल की संभावना जताई जाने लगी थी वहीं शनिवार की तड़के सुबह से ही लोग सांस था में किसी बड़े परिवर्तन का इंतजार कर रहे थे…
विपक्ष के खेमे में रात भर इस बात को लेकर मंत्रणा चलती रही कि आखिर इस बार किसका विकेट गिरने वाला है। जितने मुंह उतनी बातों के हिसाब से तरह-तरह की अफवाह भी शहर के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बड़ा विषय बन गई।
शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने भी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। सुरेश पचौरी के साथ कांग्रेस नेता अतुल शर्मा; धार के पूर्व कांग्रेस सांसद गजेंद्र सिंह राजू खेड़ी; इंदौर के पूर्व विधायक तथा भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गी से पिछले विधानसभा चुनाव में मुकाबला करने वाले संजय शुक्ला, विशाल पटेल समेत 15 कांग्रेस नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ले ली है।
इन्दौर से कांग्रेस के विधायक रह चुके संजय शुक्ला ने इंदौर से हाल ही में कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ चुनाव लड़ था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। संजय शुक्ला के पिता भाजपा के दिग्गज नेताओं में शामिल थे और बाहुबली नेता थे।
वहीं कांग्रेस के विभिन्न पदों पर लंबे समय तक अपनी लोकप्रियता और राजनीति का लोहा मनवाने वाले इन सभी नेताओं को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव तथा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सदस्यता दिलाई गई है ।
कांग्रेस की मजबूत कड़ी माने जाते है सुरेश पचौरी
मध्य प्रदेश की राजनीति मैं सुरेश पचौरी का नाम किसी भी पहचान का मोहताज नहीं है वह अपने आप में ही अपनी पार्टी के इकलौते ब्रांड एंबेसडर माने जाते थे।सुरेश पचौरी ने 1972 में एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अपना करियर शुरू किया था और 1984 में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इसके बाद 1984 में ही राज्यसभा के लिए चुने गए। पचौरी 1990, 1996 और 2002 में फिर से चुने गए। केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में सुरेश पचौरी ने रक्षा, कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन, संसदीय मामले और पार्टी जमीनी स्तर के संगठन कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष भी रहे। पचौर अपने राजनीतिक करियर में दो बार ही चुनाव लड़ा और वे हार गए। पहली बार 1999 में भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा की उमा भारती के खिलाफ लड़ा था। वे 1.6 लाख वोटों के अंतर से हार गए थे। इसके बाद उन्होंने 2013 में भी विधानसभा का चुनाव भोजपुर विधानसभा सीट से लड़ा था। इसमें वे सुरेंद्र पटवा से हार गए थे। पचौरी हाल ही में मध्यप्रदेश से गुजरी राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी शामिल हुए थे।