पीड़िता बोली धन्यवाद....
तो कइयों की छाती में, लोट गओ साँप...
नोट-: यदि आप सिस्टम के वायरस से संक्रमित हो तो यह लेख आपको मानसिक रूप से भारी अघात पहुंचा सकता है... अतः आपसे निवेदन है की आप इस लेख को अपने स्वविवेक के साथ पढ़ें...
चेतावनी के बाद भी अगर इस लेख को पढ़ने के बाद आपको मिर्ची लगती है...
तो इसमें लेखक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी...
"और अगर आप भी सिस्टम से पीड़ित है और आवाज उठाने से डरते है तो आप सिर्फ इस लेख को "शेयर"करके भी अपनी जिम्मेदारी और भड़ास पूरी कर सकते है..."
आइए शरू करते है..
प्रजातंत्र का चौथा खम्बा जो स्वघोषित देवता कहलाता है...
यहाँ हर दरबार का बाबा अपनी धूनि रामाए खुद को स्वयंसिद्ध घोषित करने के द्वन्द में फंसा है...
बात साफ है...
जिसके दरबार में जितना बड़ा भक्त बैठक जमायेगा, उसका सिक्का उतना मजबूत कहलायेगा...
यहाँ तो कुछ बाबाओ ने बाकायदा "छत्ता आखाड़ा" तक बना रखा है...
जो जन-आयोजन के कुम्भ से लेकर... पूजन सामग्री एवं भंडारे की बाकायदा लिस्ट लेकर बैठे है...
और तो और ये अपने "वीआईपी" भक्तों की मन्नत के लिए... नियम कानूनों को ताक पर रखकर खुद भगवान तक से लड़ जाने का दावा करते है....
सूत्र बताते है की द्वारपाल से लेकर दंड - नायक तक इनकी पैठ इतनी मजबूत है... की ये अपने चाहिते "भक्त" की मन्नत का धागा टूटने नहीं देते..
एक बार टेंडर हो जाने के बाद. "भक्त की मन्नत" पूरी न हो जाने तक... ये आला दरबार में तब तक घंटी बजाते है जब तक भक्त की फ़रियाद भगवान के कान को बहरा न कर दे...
.. यह भी पढ़ें..ऐसा क्या कारण था जो 12th का एक्जाम देने के बजाय स्पा सेंटर चली गई बच्चियां
कहने को तो खुला दरबार है..
लेकिन यहां गरीब भक्त की कोई औकात नहीं यहां पर सिर्फ रसूकदार भक्त की ही सुनी जाती है...
और अक्सर इस परिपाटी की भेंठ...
कोई गरीब.. जरुरत मंद फरियादी चढ़ ही जाता है...
कहने को तो खुला दरबार है..
लेकिन यहां गरीब भक्त की कोई औकात नहीं यहां पर सिर्फ रसूकदार भक्त की ही सुनी जाती है...
और अक्सर इस परिपाटी की भेंठ...
कोई गरीब.. जरुरत मंद फरियादी चढ़ ही जाता है...
यह भी पढ़ें... जाको राखे साइयाँ.. मार सके न कोय.. कैसे हुआ रेलवे स्टेशन में चमत्कार
लेकिन.....
निराश होने की जरुरत नहीं...
"आला-सरकार " के आशीर्वाद से देश के कोने-कोने तक कई ऐसे "मन्नत पूर्ति केंद्र" खुलते जा रहे है...
जिनका दरबार ज्यादा बड़ा और तामझाम वाला तो नहीं है..
पर हाँ..... उनके द्वारा बजाई गई घंटी..
भ्रस्ट सिस्टम मे मुंह में कालिख पोतकर...
गरीब भक्त की न्यायोचित मन्नत पूरी करवा ही देती है....
यही कारण है की इन छोटे-छोटे "मन्नत पूर्ति केंद्रों"की लोकप्रियता दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है...
अब ऐसे में "बड़े दरबार और अखाड़ों" के धुरंधर बाबाओ की हैसियत...
सिर्फ..
"शादी के रिसाये फूफा की तरह हो गई है"
जो अकसर अपनी कामना पूर्ति न होने पर..
अव्यवस्था और नियम क़ानून की दुहाई देते दिखाई देते है..
वे अपनी तकलीफ बयां तो करते है..
पर इनकी सुनता कोई नहीं....
बीते दिन शहर में हुए एक वाकए ने, एक बार फिर से "आला-सरकार" का आशीर्वाद प्राप्त इन "मन्नत पूर्ति केंद्रों" का मान बढ़ा दिया...
दरअसल एक पीड़िता न्याय की गुहार लगाते हुए,शहर के हर दरबार में मन्नत का धागा बांध रही थी...
लेकिन हर कोई उसे धुत-कारने में तुला था..
ऐसे में कुछ...
ऐसे चेहरे भी सामने आए जिन्होंने... वाकई चौथा खम्बा बनकर.. पीड़िता को वो सहारा दिया की..
उस की न्याय पाने की "मन्नत का धागा" सीधे आला दरबार को कबूल करना पड़ा...
अब ऐसे में कुछ राग दरबारी भले ही नियम क़ानून का पिटारा खोल कर... अपना अपना साँप नचाने का खेल तमाशा दिखाते रहे...
लेकिन हकीकत तो यह है...
की "बड़े दरबार और अखाड़ों" को पटखनी देकर इन छोटे उस्तादों ने यह भी बता दिया की..
मैदान सिर्फ तुम्हारा नहीं है...
इतनी पंचायत सुनने के बाद भी..
आपका और पढ़ने का मन कर रहा है ना...
और करेगा भी...
क्योंकि आप खुद -"बड़े दरबार और अखाड़ों" की मनमानी से त्रस्त हो..
इतनी पंचायत सुनकर..अब तक..
खुद-ब-खुद समझ गए हो आप....
क्योंकि आप खुद -"बड़े दरबार और अखाड़ों" की मनमानी से त्रस्त हो..
" खैर हम तो ठहरे नारद वंशी.. " लिहाजा.... "हमने भी - नारायण-नारायण करते कह दिया "
इतनी पंचायत सुनकर..अब तक..
खुद-ब-खुद समझ गए हो आप....
पीड़िता बोली धन्यवाद....
तो कइयों की छाती में, लोट गओ साँप...
Tags
AJAB-GAJAB
EDITORIAL
information
jabalpur
Jan-samsyaa
Madhya Pradesh
SOCIAL-MEDIA
SPECIAL-NEWS
STATE-NEWS
जबलपुर jabalpur