चुनाव में किसको याद आई "कोविशील्ड"
आखिर क्या है "हार्ट अटैक" कनेक्शन...
विकास की कलम
एक समय था जब पूरा देश आपद काल से गुजर रहा था। कोरोना के दंश ने देश को ढ़ेरों मौतों के साथ विरान सड़कों पर पसरे सन्नाटे का भयावह दृश्य भी बखूबी दिखाया था। जब विश्व के धुरंधर देश कोरोना कोरोना चिल्ला रहे थे। तब एक बार फिर से विश्वगुरु भारत ने आगे आते हुए न केवल पीढ़ितों को ढांढस बंधाया बल्कि एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित कोविशील्ड नामक कोरोना वैक्सीन के जरिए देश वासियों को कोरोना से निजात दिलाने का संकल्प साधा। आज कोराेना जैसी महामारी नदारद है। लेकिन बीते कुछ घंटों से तथाकथित बुद्धिजीवीयों का खेमा दो फाड़ में तब्दील हो चुका है। एक तो वैक्सीन के इफैक्ट पर डिबेट कर रहे है तो दूसरा खेमा कोरोना वेक्सीन के साइड इफैक्ट का गाना गाते नजर आ रहा है।
जिसका बेस उन्होंने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के हाल ही में आए एक बयान को बनाया है। जहां उसके बयान के कुछ अंश को तवज्जो देते हुए। देश में यह बात फैलाई जा रही है कि कोविशील्ड से हार्ट अटैक आने की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। गौरतलब हो की एस्ट्राजेनेका जिसने कोविशील्ड नामक कोरोना वैक्सीन का निर्माण किया था ने स्वीकार किया है कि उसके द्वारा बनाए गए वैक्सीन से लोगों को कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। कंपनी ने कहा है कि इससे खून के थक्के जमने की संभावना है। अब ऐसी स्थिति में भारत में 1 अरब 70 करोड़ डोजेज कोविशील्ड के लगाए गए थे। यह बात भ्रम फैलाने वालों के लिए अंधे की झोली में टपके आम से ज्यादा कुछ नहीं है लिहाजा कुछ तथा कथित बुद्धिजीवियों ने भी वर्तमान के माहौल को भंजाते हुए। सारा ठीकरा निर्णय लेने लेने वाले नायक के सर पर फोड़ने का प्रयास किया है।
हालांकि पहले खेमे का आरोप है की बुद्धिजीवों ने भ्रम फैलाने के दौरान यह नहीं बताया कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने साइड इफेक्ट को लेकर जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं उसमें यूरोपीय देशों में एक लाख में एक व्यक्ति के ऊपर साइड इफेक्ट होना और भारत में ना के बराबर साइड इफेक्ट होने के आंकड़े स्वीकार किए हैं। देश के नागरिकों को यह बात पता होनी चाहिए कि भारत सरकार ने कोरोना के टीके के roll out के बाद AEFI पोर्टल बनाया. साथ में एक AEFI कमिटी भी गठित की. सबसे आखिरी बार इस कमिटी ने मई 2022 में अपनी रिपोर्ट दी. ये रिपोर्ट उनको लेकर था जिन्होंने कोरोना के टीके लेने के बाद कॉम्प्लिकेशन की शिकायत दी थी। तो सिर्फ समस्या कोविशील्ड के साथ अकेले की नहीं थी बल्कि स्पुतनिक, covaxin और Corbevax के साथ भी थी। इन टीकों को लेने के के बाद लोगों ने अपनी तकलीफ की शिकायत की थी और ये दस्तावेज इंटरनेट पर जाने के बाद अगर आप सिर्फ AEFI टाइप करेंगे तो आप भी देख सकते हैं।
खैर भ्रम फैलाने वालों को किसी न किसी तरीके से अपनी रोटी सेकनी है फिर चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े। बरहाल देश में चुनाव का माहौल है । कुछ बुद्धिजीवियों का खेमा तो यह भी खुसुर पुसुर कर रहा है की इस चुनावी माहौल के दौरान देश के मुखिया ने कुछ लोगों को ऐसा हार्ट अटैक दिया है की वैक्सीन का साइड इफेक्ट सबसे ज्यादा उन्हीं के खेमे में देखा जा रहा है। हो सकता है चुनाव संपन्न होने के बाद जो आंकड़े आए । उसके बाद एक तबके को वैक्सीन के सबसे ज्यादा साइड इफेक्ट से जूझना पड़े। बहरहाल विकास की कलम सबके स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हुए सिर्फ यही कहना चाहेगी कि कभी-कभी बुखार की गोली भी गरम कर जाती है और हो सकता है कि इससे आपकी तकलीफ थोड़ी देर के लिए बढ़ जाए। इसका मतलब यह नहीं है कि बुखार की गोली ही खराब है। और यदि इसके बाद भी वैक्सीन को लेकर के कोई ऊल जजुल ख्याल मन में आए तो उसे दिन को जरूर याद कर लेना जब गले में कपूर बांधकर कोरोना को भगाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाने को लोग तैयार रहते थे।
खैर भ्रम फैलाने वालों को किसी न किसी तरीके से अपनी रोटी सेकनी है फिर चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े। बरहाल देश में चुनाव का माहौल है । कुछ बुद्धिजीवियों का खेमा तो यह भी खुसुर पुसुर कर रहा है की इस चुनावी माहौल के दौरान देश के मुखिया ने कुछ लोगों को ऐसा हार्ट अटैक दिया है की वैक्सीन का साइड इफेक्ट सबसे ज्यादा उन्हीं के खेमे में देखा जा रहा है। हो सकता है चुनाव संपन्न होने के बाद जो आंकड़े आए । उसके बाद एक तबके को वैक्सीन के सबसे ज्यादा साइड इफेक्ट से जूझना पड़े। बहरहाल विकास की कलम सबके स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हुए सिर्फ यही कहना चाहेगी कि कभी-कभी बुखार की गोली भी गरम कर जाती है और हो सकता है कि इससे आपकी तकलीफ थोड़ी देर के लिए बढ़ जाए। इसका मतलब यह नहीं है कि बुखार की गोली ही खराब है। और यदि इसके बाद भी वैक्सीन को लेकर के कोई ऊल जजुल ख्याल मन में आए तो उसे दिन को जरूर याद कर लेना जब गले में कपूर बांधकर कोरोना को भगाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाने को लोग तैयार रहते थे।