(दृश्यम 3)
क्राइम वेब सीरीज देख, रियल क्राइम
विकास की कलम/जबलपुर
आप सभी ने अजय देवगन की दृश्यम मूवी जरूर देखी होगी। जिसमें एक अनपढ़ आदमी फिल्मों से अपराध करने एवं उसको छिपाने के अनोखे तरीके न केवल सीखता है, बल्कि समय आने पर वह अपराध करता भी है। और पुलिस को चकमा देता भी है। इस फिल्म की सबसे अच्छी खासियत यह भी है कि वह अंत तक पुलिस को गुमराह करता रहता है। और आखरी तक खुद को बेगुनाह साबित करते हुए जेल से बचा रहता है।
कुछ इसी तरीके से जबलपुर में भी एक हत्या की सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया गया। इस दौरान आरोपी ने 6 महीने पहले ही क्राईम वेब सीरीज देखकर हत्या की साजिश रची और उसको लूट में तब्दील करते हुए। पूरी फुल प्रूफ प्लानिंग कर डाली।
लेकिन अफसोस... यह फिल्मी दुनिया नहीं बल्कि हकीकत की दुनिया है... जहां पर अपराध करने वाला कितना ही शातिर क्यों ना हो पुलिस के पंजे से उसका बच पाना नामुमकिन होता है।
विकास की कलम अपने इस लेख में आपको सिलसिले वार तरीके से समझाएगी। की कैसे..? एक नाबालिग प्रेमिका और उसके प्रेमी ने मिलकर, इश्क के जुनून में एक ऐसी खौफनाक वारदात को अंजाम दिया । जिसने पूरे शहर को दहला कर रख दिया था।
कहते है की प्यार का भूत सर चड़के बोलता है।लेकिन अपनी इस कहानी में इश्क के इस भूत ने जो तांडव मचाया है। उसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी। पहले प्रेमी संग गुटर गूं और फिर उसके बाद रास्ते से सारे कांटे हटाने , अपने ही बाप भाई की हत्या कोई जिगरा वाला प्रेमी ही कर सकता है। लेकिन यह सारी करामात सिर्फ यही नहीं रुकी । बल्कि इश्क के इस भूत ने इन नौसिखिए प्रेमी जोड़े को फरारी मास्टर भी बना दिया। अपने गुनाहों की मैली चादर ओढ़ कर यह प्रेमी जोड़ा एक शातिर बदमाश की तरह ही, पुलिस की आंख में धूल झोंकते हुए । लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था । अब यह हुनर उन्हें कहां से आया यह तो भगवान ही जाने। वह कहते हैं ना की इश्क जो ना कराए वह कम है। लेकिन इस प्रेमी जोड़े की आंख में चोली ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई और आखिरकार प्रेमिका पुलिस के हत्थे चढ़ गई। प्रेमिका के गिरफ्तार होने के दौरान तो प्रेमी मौके से फरार हो गया था । लेकिन अचानक बेहद नाटकीय तौर पर प्रेमिका के हरिद्वार से जबलपुर पहुंचने से पहले ही प्रेमी ने जबलपुर पुलिस को सरेंडर कर दिया। और इकबाल जुर्म करते हुए प्रेमिका को बचाने का प्रयास करने लगा।
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वेब सीरीज ने सिखाया शातिराना अंदाज
प्रेमी जोड़े के पकड़े जाने से पहले हर किसी शख्स के मन में सिर्फ यही सवाल था। कि आखिरकार इतनी कम उम्र में इतने बड़े कदम को इन बच्चों ने कैसे उठाया होगा। कुछ हद तक लोगों की सिंपैथी भी प्रेमी जोड़ों के साथ में थी। लेकिन खुद ब खुद सरेंडर करने के बाद मुकुल ने जो राज खोले। उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है, कि आजकल सोशल मीडिया की यूनिवर्सिटी में क्राइम करने के एक से बढ़कर एक क्रैश कोर्स पड़े हुए हैं। मुकुल के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने पर पुलिस ने पाया कि मुकुल सोशल मीडिया में काफी एक्टिव रहता था। इतना ही नहीं वह अपना अधिकांश समय क्राइम सीरीज देखकर बीताता था। साथ ही वह पबजी,जीटीए जैसे गेम में भी काफी रुचि रखता था। इन्ही क्राइम सीरीज को देखकर उसने हत्या की प्लानिंग की थी। पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह हत्या की साजिश बहुत ही सोचे समझे तरीके से की गई थी। मुकुल ने पूरी प्लानिंग इस तरह से की थी कि इस हत्याकांड से यह दोनों बच जाए पर यदि किसी भी तरह से आरोप लगे तो वह लड़की पर नहीं सिर्फ मुकुल पर लगे ।6 महीने की परफेक्ट प्लानिंग के बाद हुई हत्या
मुकुल के सनसनी कैसे खुलासों में एक बात जो बेहद अहम थी वह यह थी कि उपरोक्त हत्या की प्लानिंग अक्टूबर महीने से चल रही इस प्लानिंग को इस प्रेमी जोड़े ने मार्च में अंजाम दिया। जिसके लिए इन्होंने इसे एक लूट बताने की भी साजिश तैयार की थी । इनका इरादा यह था कि गैस कटर से खिड़की को काटकर यह बताया जाएगा कि घर को लूटने के लिए लुटेरे घर में घुसे और उन्होंने पिता की हत्या कर दी । 14 मार्च की रात लड़की के घर में घुसकर मुकुल ने सबसे पहले पिता के ऊपर हमला किया पिता के शोर मचाने पर लड़की का छोटा भाई भी जाग गया और उसने शोर मचाने की कोशिश की जिसके बाद उसके छोटे भाई की भी हत्या कर दी गई। दोनों आरोपियों ने पहले यह प्लानिंग की थी कि गैस कटर का इस्तेमाल कर लाश के टुकड़ों को भी ठिकाने लगा दिया जाएगा पर मौके पर बहुत ज्यादा खून को देखकर वह डर गए और पिता और भाई की लाश को पॉलीथिन में लपेट दिया। आरोपी मुकुल ने नाबालिक को इस मामले से बचाने के लिए उसे अपनी मौसेरी बहन को वॉइस मैसेज छोड़ने के लिए कहा। पर इसके बाद उनकी पूर्व में की गई प्लानिंग को सफल ना होते देखकर यह दोनों फरार हो गए।
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बिन फेरे हम तेरे के बाद बिना टिकट के भारत दर्शन की तर्ज पर यह प्रेमी जोड़ा पुलिस से बचने के लिए लगातार अपना ठिकाना बदलता रहा। आत्म समर्पण के बाद आरोपी ने खुद अपनी फरारी की कहानी बताना शुरू किया। उसने पुलिस को बताया कि यहां से फरार होने के बाद वह बेंगलुरु में अपने एक दोस्त के यहां एक रात रुका था। पर दोस्त को पता चल गया कि वह हत्या का आरोपी है । तो उसने उसे वहां से भगा दिया।
दोनों आरोपियों से मिली जानकारी के अनुसार वह जबलपुर से फरार होने के बाद कटनी,इंदौर,पुणे,बेंगलुरु,कुलबर्गी,कोलकाता गुवाहाटी,झांसी,चंडीगढ़,मथुरा, चंडीगढ़ जैसे शहरों में ट्रेवल कर चुके हैं। यह सारी यात्राएं यह बिना टिकट के करते थे । ताकि पकड़े जाने की संभावना ही ना रहे। नाबालिक के पिता का बैंक खाता पुलिस के द्वारा सीज़ किए जाने के बाद पैसों की तंगी के चलते इन्होंने हरिद्वार को अपना ठिकाना बनाया। वह अक्सर आश्रमों और भंडारे में जाकर खाना खाते थे और वहीं से खाना पैक भी कर लेते थे। जिसके बाद हर की पौड़ी में अपना समय व्यतीत करते थे ।और इस तरह दिन काट रहे थे। 28 मई को यह दोनों फ्रेश होने के लिए एक सार्वजनिक शौचालय में पहुंचे थे। जहां पर नगर रक्षा समिति के किसी सदस्य की सतर्कता के चलते नाबालिक आरोपी किशोरी पुलिस की पकड़ में आई थी। जिसके दो दिन बाद ही मुख्य आरोपी मुकुल ने जबलपुर पहुंचकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया।
जबलपुर के रेलवे मंडल के हेड क्लर्क राजकुमार विश्वकर्मा सिविल लाइन की रेलवे मिलेनियम कॉलोनी में अपनी बेटी और 9 वर्षीय बेटे तनिष्क के साथ रहते थे । राजकुमार की पत्नी की मृत्यु हो जाने के चलते घर पर बच्चे ज्यादातर समय अकेले ही रहते थे। राजकुमार की बेटी और पड़ोस में ही रहने वाले सेफ्टी ओएस राजपाल सिंह के बेटे मुकुल सिंह के बीच आपस में बातचीत होने लगी और धीरे-धीरे यह बातचीत प्यार में बदल गई। यह दोनों कॉलोनी के स्थित गार्डन में भी काफी देर तक बैठकर बातें करते थे। एक बार आधी रात यह दोनों गार्डन में बैठे हुए दिखाई दिए तो कॉलोनी के चौकीदार ने इन्हें फटकार लगाई और इसकी सूचना नाबालिक के पिता राजकुमार को दी। इसके बाद से नाबालिक के ऊपर परिवार का दबाव आ गया कि वह मुकुल से बातचीत ना करें। मृतक राजकुमार ने आरोपी मुकुल के पिता को भी इस बात की चेतावनी दी थी कि मुकुल उसकी बेटी से बातचीत ना करें। परिवार के विरोध के चलते यह दोनों घर से रातों-रात फरार हो गए, जिसकी सूचना पुलिस को दी गई और पुलिस ने दो दिनों के भीतर इन्हें भोपाल के एक रिसॉर्ट से गिरफ्तार किया। लड़की के नाबालिक होने के कारण उसके पिता राजकुमार ने मुकुल पर पास्को एक्ट सहित अपहरण और अन्य धाराओं पर मामला कायम कराया था और उसे जेल भेज दिया गया था। मुकुल को यह पता था की नाबालिक लड़की ने पिता के दबाव में जाकर उसके खिलाफ बयान दिया है। तब से ही मुकुल ने राजकुमार से बदला लेने की ठान ली थी। राजकुमार ने अपनी बेटी को भी भाई के घर इटारसी पढ़ाई के लिए भेज दिया था।
बिन टिकट के.. फरारी का भारत दर्शन
बिन फेरे हम तेरे के बाद बिना टिकट के भारत दर्शन की तर्ज पर यह प्रेमी जोड़ा पुलिस से बचने के लिए लगातार अपना ठिकाना बदलता रहा। आत्म समर्पण के बाद आरोपी ने खुद अपनी फरारी की कहानी बताना शुरू किया। उसने पुलिस को बताया कि यहां से फरार होने के बाद वह बेंगलुरु में अपने एक दोस्त के यहां एक रात रुका था। पर दोस्त को पता चल गया कि वह हत्या का आरोपी है । तो उसने उसे वहां से भगा दिया।
दोनों आरोपियों से मिली जानकारी के अनुसार वह जबलपुर से फरार होने के बाद कटनी,इंदौर,पुणे,बेंगलुरु,कुलबर्गी,कोलकाता गुवाहाटी,झांसी,चंडीगढ़,मथुरा, चंडीगढ़ जैसे शहरों में ट्रेवल कर चुके हैं। यह सारी यात्राएं यह बिना टिकट के करते थे । ताकि पकड़े जाने की संभावना ही ना रहे। नाबालिक के पिता का बैंक खाता पुलिस के द्वारा सीज़ किए जाने के बाद पैसों की तंगी के चलते इन्होंने हरिद्वार को अपना ठिकाना बनाया। वह अक्सर आश्रमों और भंडारे में जाकर खाना खाते थे और वहीं से खाना पैक भी कर लेते थे। जिसके बाद हर की पौड़ी में अपना समय व्यतीत करते थे ।और इस तरह दिन काट रहे थे। 28 मई को यह दोनों फ्रेश होने के लिए एक सार्वजनिक शौचालय में पहुंचे थे। जहां पर नगर रक्षा समिति के किसी सदस्य की सतर्कता के चलते नाबालिक आरोपी किशोरी पुलिस की पकड़ में आई थी। जिसके दो दिन बाद ही मुख्य आरोपी मुकुल ने जबलपुर पहुंचकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया।
नैन मटक्का से लेकर जेल तक की पूरी कहानी..
जबलपुर के रेलवे मंडल के हेड क्लर्क राजकुमार विश्वकर्मा सिविल लाइन की रेलवे मिलेनियम कॉलोनी में अपनी बेटी और 9 वर्षीय बेटे तनिष्क के साथ रहते थे । राजकुमार की पत्नी की मृत्यु हो जाने के चलते घर पर बच्चे ज्यादातर समय अकेले ही रहते थे। राजकुमार की बेटी और पड़ोस में ही रहने वाले सेफ्टी ओएस राजपाल सिंह के बेटे मुकुल सिंह के बीच आपस में बातचीत होने लगी और धीरे-धीरे यह बातचीत प्यार में बदल गई। यह दोनों कॉलोनी के स्थित गार्डन में भी काफी देर तक बैठकर बातें करते थे। एक बार आधी रात यह दोनों गार्डन में बैठे हुए दिखाई दिए तो कॉलोनी के चौकीदार ने इन्हें फटकार लगाई और इसकी सूचना नाबालिक के पिता राजकुमार को दी। इसके बाद से नाबालिक के ऊपर परिवार का दबाव आ गया कि वह मुकुल से बातचीत ना करें। मृतक राजकुमार ने आरोपी मुकुल के पिता को भी इस बात की चेतावनी दी थी कि मुकुल उसकी बेटी से बातचीत ना करें। परिवार के विरोध के चलते यह दोनों घर से रातों-रात फरार हो गए, जिसकी सूचना पुलिस को दी गई और पुलिस ने दो दिनों के भीतर इन्हें भोपाल के एक रिसॉर्ट से गिरफ्तार किया। लड़की के नाबालिक होने के कारण उसके पिता राजकुमार ने मुकुल पर पास्को एक्ट सहित अपहरण और अन्य धाराओं पर मामला कायम कराया था और उसे जेल भेज दिया गया था। मुकुल को यह पता था की नाबालिक लड़की ने पिता के दबाव में जाकर उसके खिलाफ बयान दिया है। तब से ही मुकुल ने राजकुमार से बदला लेने की ठान ली थी। राजकुमार ने अपनी बेटी को भी भाई के घर इटारसी पढ़ाई के लिए भेज दिया था।शराब दुकान में बैंड बाजा बारात लेकर क्यों पहुंची महिलाएं... पड़े पूरी खबर
बदला और बगावत बने कांड का कारण
इधर मुकुल जेल में प्यार करने की सजा काट रहा था और मन ही मन जल्द जेल से बाहर निकालने के जुगाड़ भी बिठा रहा था। आखिरकार मुकुल जमानत पर जेल से रिहा किया गया लेकिन अभी भी उसको इस बात का डर था की कहानी उसकी प्रेमिका अपने पिता के दबाव में आकर कुछ ऐसा बयान न दे दे कि उसे जिंदगी भर जेल की चार दिवारी के पीछे सड़ना पड़े। लिहाजा उसने नाबालिक से फिर से बातचीत चालू करना शुरू की, नाबालिक और मुकुल मौज ऐप पर बातचीत करते थे। कुछ दिनों में ही पढ़ाई के बहाने से लड़की भी इटारसी से आकर अपने सिविल लाइन स्थित घर पर रहने लगी और इन दोनों ने मिलकर अपने प्यार के आड़े आ रहे को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया था।
इसके बाद 14-15 मार्च की रात मिलेनियम कॉलोनी में खौफनाक हत्याकांड को अंजाम दिया गया। मुकुल ने हेड क्लर्क राजकुमार के शव को पन्नी में बांधकर किचन में फेंक दिया था। जबकि, तनिष्क के शव को कपड़े में बांधकर फ्रिज में बुरी तरह से ठूंस दिया था। इसके बाद दोनों आरोपियों ने घर पर नाश्ता किया और लड़की ने वॉइस मैसेज से अपने रिश्तेदारों को पिता की हत्या की सूचना दी और दोनों मौके से फरार हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब सीसीटीवी फुटेज देखा तो यहां रहने वाले सेफ्टी ओएस राजपाल सिंह का बेटा मुकुल सिंह अपनी स्कूटर से मृतक की नाबालिग बेटी के साथ दोपहर करीब 12:23 बजे कॉलोनी से निकलता हुआ नजर आया था।
सिविल लाइन मिलेनियम कॉलोनी में अपने पिता और भाई की हत्या की आरोपी नाबालिका को हरिद्वार से पकड़ा गया था। उसे जबलपुर लाकर मुकुल के बारे में पूछताछ शुरू की जाती , इससे पहले ही उसका प्रेमी और मुख्य आरोपी मुकुल जबलपुर पहुंच गया और 30 मई की रात सिविल लाइन थाने में उसने आत्मसमर्पण कर दिया। लगभग ढाई महीने के समय से पुलिस को चकमा दे रहे इस क़ातिल जोड़े को हरिद्वार में जिला अस्पताल के पास जनता के द्वारा पहचान गया था। मुकुल ने इस दौरान अपनी प्रेमिका के बचाव के लिए बकायदा प्लान बी बना रखा था।ताकि उस पर कोई अपराध साबित न हो।
इसके बाद 14-15 मार्च की रात मिलेनियम कॉलोनी में खौफनाक हत्याकांड को अंजाम दिया गया। मुकुल ने हेड क्लर्क राजकुमार के शव को पन्नी में बांधकर किचन में फेंक दिया था। जबकि, तनिष्क के शव को कपड़े में बांधकर फ्रिज में बुरी तरह से ठूंस दिया था। इसके बाद दोनों आरोपियों ने घर पर नाश्ता किया और लड़की ने वॉइस मैसेज से अपने रिश्तेदारों को पिता की हत्या की सूचना दी और दोनों मौके से फरार हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब सीसीटीवी फुटेज देखा तो यहां रहने वाले सेफ्टी ओएस राजपाल सिंह का बेटा मुकुल सिंह अपनी स्कूटर से मृतक की नाबालिग बेटी के साथ दोपहर करीब 12:23 बजे कॉलोनी से निकलता हुआ नजर आया था।
प्रेमिका के पकड़े जाते ही खुद ब खुद सुलझ गए सारे उलझे तार
सिविल लाइन मिलेनियम कॉलोनी में अपने पिता और भाई की हत्या की आरोपी नाबालिका को हरिद्वार से पकड़ा गया था। उसे जबलपुर लाकर मुकुल के बारे में पूछताछ शुरू की जाती , इससे पहले ही उसका प्रेमी और मुख्य आरोपी मुकुल जबलपुर पहुंच गया और 30 मई की रात सिविल लाइन थाने में उसने आत्मसमर्पण कर दिया। लगभग ढाई महीने के समय से पुलिस को चकमा दे रहे इस क़ातिल जोड़े को हरिद्वार में जिला अस्पताल के पास जनता के द्वारा पहचान गया था। मुकुल ने इस दौरान अपनी प्रेमिका के बचाव के लिए बकायदा प्लान बी बना रखा था।ताकि उस पर कोई अपराध साबित न हो।