मेडिकल से 100 गुना अच्छा है मेडीजोन हॉस्पिटल..
हम सब सेट करवा देंगे...
विकास की कलम जबलपुर
एमपी की स्वास्थ्य व्यवस्था को भगवान भरोसे यूं ही नहीं कहा जाता है जनाब....
भ्रष्टाचार की चादर ओढ़ कर बेशर्मी से घी पीने का हुनर भी इन्होंने बड़ी मेहनत से पाया है यही कारण है कि हर बात थपेड़े लगने के बावजूद भी इनकी हरकतें सुधरने का नाम नहीं लेती और इसका खामियाजा प्रदेश की जनता उठाती है। वैसे तो आपने आयुष्मान की दलाली,दवाई की दलाली,नकली रेमेडीशिवर, जैसे कई करना में सुने होंगे। लेकिन इन सब के बीच एंबुलेंस माफिया भी बीते कुछ दिनों से काफी सुर्खियों में है। जो कि मरीज के परिजनों को सरकारी अस्पताल से दूर ले जाकर भर्ती कराते हैं और फिर उसके ओवरऑल बिल का मोटा कमीशन डकार जाते हैं।
मामला डिंडोरी जिले से सामने आया है जहां पर खुशी राम पिता शिवचरण जिला अस्पताल विक्टोरिया हॉस्पिल में इलाज के लिए गए थे मगर डॉक्टरों ने विक्टोरिया हॉस्पिल से मेडिकल कॉलेज रिफर किया था ,लेकिन 108 एंबुलेंस चालक और मेडिजोन अस्पताल की मिली भगत का शिकार हो गया । इससे पहले की मरीज मेडिकल अस्पताल पहुंच पाता। रास्ते में ही दलालों ने अपना कुचक्र रचना शुरू कर दिया। सबसे पहले मेडिकल अस्पताल की खामियां गिनाते हुए मरीज और उसके परिजनों को बताया गया की मेडिकल अस्पताल से तो सीढ़ी लैस ही लौटेगी लिहाजा उनकी नजर में एक अस्पताल है जहां बेहद वाजिब दामों पर उपचार भी हो जाएगा और महंगी अस्पतालों जैसी देखरेख भी हो जाएगी। हालात के मारे मरीज और उसके परिजन अक्सर इस सहानुभूति के जाल में फंस जाते हैं और हुआ भी यही खुशीराम भी एंबुलेंस माफिया के इस जाल में फंस गया और फिर मेडिकल अस्पताल की जगह मेडी जॉन हॉस्पिटल पहुंच गया।
ताजा मामला मेडिसिन प्राइवेट अस्पताल का
एंबुलेंस के जरिए मरीज की दलाली करने का ताजा मामला जबलपुर के मेडिजॉन प्राइवेट हॉस्पिटल से सामने आया है। जहां डिंडोरी के एक मरीज को सरकारी अस्पताल ले जाने की बजाय एंबुलेंस के ड्राइवर ने एक निजी अस्पताल पहुंचा दिया। इस दौरान मरीज के परिजन से एंबुलेंस की रकम तो वसूल की ही गई बल्कि अस्पताल की तरफ से मिलने वाली नजराने को भी सुरक्षित किया गया।यह है पूरा मामला
मेडिकल हॉस्पिटल में बना है एंबुलेंस माफियाओं का अड्डा
आपको बता दें कि जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में एंबुलेंस माफियाओं का सबसे बड़ा नेटवर्क काम करता है यही से मरीजों की निजी अस्पतालों में सप्लाई का खेल भी किया जाता है। बीते कुछ वर्ष पूर्व जबलपुर के तात्कालिक कलेक्टर इलैया राजा टी द्वारा उनकी कमर तोड़ने का प्रयास किया गया था और काफी हद तक इन पर लगाम भी लगा दी गई थी लेकिन कलेक्टर का तबादला होते ही एंबुलेंस माफिया फिर से जोर पकड़ने लगे और अब आलम यह है कि इनके खिलाफ जब भी आवाज उठाई जाती है आवाज उठाने वाला व्यक्ति तरह-तरह की परेशानियों में गिर जाता है।पता सबको है पर खामोशी जारी है...
शहर में बड़े पैमाने पर इस तरीके का गोरख धंधा लगातार चल रहा है ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को इस बात की भनक न हो बल्कि सूत्र बताते हैं की पूरी सहमति के साथ इस करना में को अंजाम दिया जा रहा है जिसमें 108 के ड्राइवर जैसी निचली कड़ी से लेकर बड़ी गाड़ी पर बैठे जिम्मेदार भी लिप्त है। कुल मिलाकर बात कहे तो एक पूरा नेक्सस है जो की शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर पलीता लगाने का काम कर रहा है।जानिए क्या बोले जिम्मेदार...
जैसे ही यह पूरा मामला मीडिया में उछला। वैसे ही जिम्मेदारों की नींद टूट गई जबलपुर के कुछ मीडिया बंधुओ ने इसकी शिकायत सीधे कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर अपर कलेक्टर से की मामले की जानकारी लगते ही अपर कलेक्टर ने अपना तेज तर्रार रवैया दिखाते हुए तत्काल ही जांच की बात कही। सब के मिजाज को देखकर तो लगता है कि मानो आज से ही एंबुलेंस माफिया की कमर टूट जाएगी लेकिन सवाल यह भी है कि यह जांच कब तक चलेगी।इनका कहना है
मीडिया के माध्यम से हमें इस बात की जानकारी लगी है कि अस्पताल परिसर में 108 एंबुलेंस चालक के द्वारा मरीज को निजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया गया। इस पूरी मामले की जांच की जा रही है और दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी।
नाथूराम गोड अपर कलेक्टर