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रिश्वतखोर CMHO गिरफ्तार.. महिला कंप्यूटर ऑपरेटर की आड़ में हो रही थी घूंसखोरी...



रिश्वतखोर CMHO गिरफ्तार..
महिला कंप्यूटर ऑपरेटर की आड़ में हो रही थी घूंसखोरी...






विकास की कलम/नरसिंहपुर

मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग अपने अजब गजब कारनामों और जुगाड़ टेक्नोलॉजी के साथ-साथ घूसखोरी के लिए भी काफी मशहूर है कहने को तो यह विभाग गरीब जनता को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा स्थापित किया गया है लेकिन हकीकत यह है की इस विभाग में पदस्थ अधिकारियों को रिश्वतखोरी की ऐसी तलब लग चुकी है। जो ना चाह के भी जनता के सामने उजागर हो ही जाती है। ऐसा नहीं है कि इस रोग से सिर्फ छोटे तबके के कर्मचारी या अधिकारी पीड़ित हो, बल्कि रिश्वतखोरी की इस चासनी का चटकारा जिला मुख्यालय के सबसे बड़े अधिकारी भी लेने से बाज नहीं आ रहे। लाखों रुपए की मोटी सैलेरी उठाने वाले यह साहब भी चाय पानी के लिए हाथ फैला ही देते हैं।


 

जानकार बताते हैं कि यह एक ऐसा कुष्ठ रोग है जो संपर्क में आने पर तेजी से फैलता है यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग के भृत्य से लेकर सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठे साहब भी इस कोढ़ के चपेट में आ चुके हैं। यह संक्रमण कुछ इस तरह फैल चुका है की स्वास्थ्य विभाग का अदना सा कर्मचारी भी अब बिना चाय पानी लिए फाइल नहीं सरका रहा। इन सारी बातों को जीवंत करते हुए ताजा मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले से सामने आया है।

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जानिए क्या है पूरा मामला...

यह पूरा मामला डॉक्टर अपूर्वा श्रीवास्तव से जुड़ा हुआ है जो की नरसिंहपुर करेली में मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ हैं। इनके द्वारा व्यक्तिगत कार्य के लिए कुछ दिनों का अवकाश लिया गया था और अपने अन्य दिनों में अधिक सेवा दिए जाने को लेकर इन अवकाशों का निराकरण किया जाना था। इसके लिए बाकायदा उन्होंने जिला मुख्यालय में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नरसिंहपुर आशीष प्रकाश सिंह को आवेदन के माध्यम से अवगत कराते हुए निवेदन भी किया था। शुरुआती तौर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आशीष प्रकाश सिंह ने छुट्टियों के निराकरण की सहमति प्रदान करते हुए विभाग में पदस्थ एक कंप्यूटर ऑपरेटर दीपिका नामदेव से मुलाकात कर लेने की बात कही। डॉ अपूर्वा ने तत्काल ही अपनी फाइल लेकर महिला कंप्यूटर ऑपरेटर दीपिका नामदेव को फाइल सौंपते हुए छुट्टियों के निराकरण को कर देने की बात कही....
लेकिन जवाब में महिला कंप्यूटर ऑपरेटर दीपिका द्वारा जो बात कही गई उसे सुनकर डॉक्टर अपूर्वा श्रीवास्तव के पैरों तले जमीन खिसक गई।


महिला कंप्यूटर ऑपरेटर ने की रिश्वत की मांग

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आशीष प्रकाश सिंह के आश्वासन मिलने के बाद डॉ अपूर्वा श्रीवास्तव नोट शीट बनवाने के लिए साहब द्वारा बताई गई महिला कंप्यूटर ऑपरेटर से मुलाकात करने पहुंच गई। बातों ही बातों में महिला कंप्यूटर ऑपरेटर दीपिका नामदेव द्वारा मामले को पूर्ण रूप से समझाते हुए यह कहा गया कि हर एक कार्य की एक निश्चित कीमत होती है और उनकी छुट्टियां के निराकरण के लिए ₹5000 के भुगतान की आवश्यकता पड़ेगी। डॉ अपूर्वा समझ चुकी थी कि महिला कंप्यूटर ऑपरेटर दबे हुए शब्दों में खुलेआम रिश्वत की मांग कर रही है।


महिला कंप्यूटर ऑपरेटर की आड़ में रिश्वतखोरी का खेल

डॉ अपूर्वा श्रीवास्तव को इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उन्हें अपने ही विभाग में अपना ही काम करवाने के लिए अपने ही अधिकारी को रिश्वत देनी होगी। पहले उन्हें लगा की महिला कंप्यूटर ऑपरेटर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए खुद के लिए पैसे की मांग कर रही है लेकिन जब महिला कंप्यूटर ऑपरेटर से₹5000 की मांग का कारण पूछा गया तो उन्होंने खुलकर बताते हुए कहा कि सीएमएचओ साहब द्वारा₹5000 लिए जाने का आदेश दिया गया है। अब बात बिल्कुल साफ हो चली थी कि विभागीय कार्यों में रिश्वतखोरी का यह पूरा खेल सीएमएचओ साहब द्वारा महिला कंप्यूटर ऑपरेटर की आड़ लेकर किया जा रहा था।


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लोकायुक्त पहुंची डॉक्टर अपूर्वा श्रीवास्तव

रिश्वत की इस मांग को लेकर डॉ अपूर्वा श्रीवास्तव काफी आहत हुई और उन्होंने रिश्वतखोर अधिकारियों को सबक सिखाने की मन में ठान ली इस पूरे मामले को लेकर डॉक्टर अपूर्वा श्रीवास्तव ने जबलपुर लोकायुक्त एसपी से मुलाकात करते हुए उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी दी। मामले को काफी गंभीरता से सुनने के बाद पुलिस अधीक्षक संजय साहू द्वारा एक विशेष दल गठित करते हुए रिश्वतखोर सीएमएचओ आशीष प्रकाश सिंह और महिला कंप्यूटर ऑपरेटर दीपिका नामदेव को रंगे हाथों गिरफ्तार करने की योजना बनाई।

लोकायुक्त ने फैलाया जाल.. रंगे हाथ दबोचे गए रिश्वतखोर

लोकायुक्त की टीम द्वारा रिश्वतखोर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और महिला कंप्यूटर ऑपरेटर को रंगे हाथ गिरफ्तार करने के लिए डॉक्टर अपूर्वा के साथ एक रणनीति बनाई। जिसके तहत डॉक्टर अपूर्वा नेता यशोदा रिश्वत की रकम को दिए जाने की बात कहते हुए एक निश्चित समय तय किया । उपरोक्त तय समय पर डॉ अपूर्वा रिश्वत की राशि लेकर महिला कंप्यूटर ऑपरेटर दीपिका नामदेव से मुलाकात करने पहुंची। और जैसे ही रिश्वत की राशि रिश्वतखोरों तक पहुंची टीम द्वारा आरोपियों को धर दबोचा गया। आरोपियों को रंगे हाथ गिरफ्तार करते हुए। उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा-7,के अंतर्गत कार्यवाही की गई है। इस पूरी कार्यवाही के दौरान उप पुलिस अधीक्षक सुरेखा परमार, इंस्पेक्टर भूपेंद्र कुमार दिवान, इंस्पेक्टर कमल सिंह उईके एवम् लोकायुक्त जबलपुर का दल उपस्थित था।



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