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डिजिटल अरेस्ट पर एसपी बोले..कोई भी फोन आए, डरना नहीं




विकास की कलम/जबलपुर मप्र 

देश में हर रोज डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) करके लोगों से अभी तक अरबों रुपये की ठगी की गई है। आंकड़ों की बात की जाए तो कई बड़े व्यापारी और ग्रुप के मालिक को डिजिटल अरेस्ट करके करोड़ों का चूना लगाया जा चुका है।डिजिटल अरेस्ट एक बेहद सोचा समझा साइबर स्कैम (Cyber Scam) है,जिससे बचना एक बहुत मुश्किल काम है। लेकिन यदि आप थोड़े भी सजग हैं और जागरूक हैं तो साइबर ठग आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। विकास की कलम अपने इस लेख के माध्यम से आपको इस बड़े यानी डिजिटल अरेस्ट के बारे में विस्तार से बताएगी और इससे बचने का तरीका भी सिखाएगी....

आइए जानते है...क्या है डिजिटल अरेस्ट?

साफ तौर की भाषा में समझा जाए तो आपको आपको आभासी तौर पर गिरफ्तार कर लिया गया है आपको आपका गुना बात कर जल्द ही सलाखों के पीछे भिजवाने की तैयारी जैसा प्रपंच तैयार किया गया है और मानसिक रूप से आपको पुलिसिया कार्यवाही और जेल का खौफ दिला बंधक बनाया गया है। डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार वही लोग होते हैं जो अधिक पढ़े लिखे और अधिक होशियार होते हैं। डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ऐसा है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी(Online threats) देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग(Cyber Thug) नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। इस दौरान वे लोगों से वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं और इसी बीच केस को खत्म करने के लिए पैसे भी ट्रांसफर करवाते रहते हैं।


जानिए कैसे बिछाया जाता है डिजिटल अरेस्ट का जाल..?

डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है। डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठग लोगों को फोन करके कहते हैं कि वे पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बात कर रहे हैं। ये कहते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल करते हुए तमाम चीजें की खरीदी गई हैं या फिर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। कई बार यह भी दावा किया जाता है कि वे कस्टम विभाग से बोल रहे हैं और आपके नाम से कोई पार्सल आया है । जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं।

इसके बाद वे वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं होती। इस दौरान जमानत के नाम पर लोगों से पैसे भी मांगे जाते हैं। इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं और इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।

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कैसे तोड़े डिजिटल अरेस्ट का मायाजाल..??

यह पूरा खेल आपके डर का है। आपके दर को आपके ऊपर हावी कर कर ही आपसे मोटी रकम वसूलने का मायाजाल तैयार किया जाता है। अगर ऐसे में आप अपने डर पर काबू पालें तो साइबर जालसाज आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएंगे। ऐसे में यदि आपके पास भी इस तरह की धमकी वाले फोन कॉल आते हैं तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। कोई कॉल करके धमकाता है तो डरें नहीं, बल्कि डटकर सामना करें, क्योंकि यदि आपने कोई पार्सल मंगवाया ही नहीं है तो फिर डरने की जरूरत नहीं है। ऐसे कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें। यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें। यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने लगा तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और शिकायत करें। किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें।



एसपी बोले..कोई भी फोन आए, डरना नहीं 

पूरे देश में बढ़ रही डिजिटल अरेस्ट सायबर ठगी के अपराधों पर जबलपुर के पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर आम नागरिकों से अपील की है कि सायबर ठग मुंबई क्राईम ब्रांच या ईडी सीबीआई के नाम पर कॉल करते है वीडियो कॉलिन्ग पर टीव्ही सीरियलों में बनने वालें पुलिस स्टेशन के सेट का दृश्य दिखाते है। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट की कोई वैधानिक प्रक्रिया नही है साथ ही पुलिस किसी को कोई भी धमकी भरा पत्र नहीं भेजती । लोग जागरूक रहे, किसी के साथ ऐसा कोई करता है तो तत्काल नजदीकी पुलिस स्टेशन पर इसकी शिकायत दर्ज कराए ।
पुलिस अधीक्षक श्री संपत उपाध्याय ने कहा कि लोग साइबर क्राइम से बचे यदि कहीं कुछ ऐसी घटना होती है, तो तुरंत ही हेल्पलाइन नंबर 1930 में कॉल करें या निकटतम थाना में सूचित करें।



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