गली गली में घूम कर लोगों को जागरूक करेगा साइबर जागरूकता रथ,
पुलिस कप्तान ने हरी रंडी दिखाकर रथ को किया रवाना...
विकास की कलम /जबलपुरटेक्नोलॉजी कैसे बढ़ाते योग्य ने साइबर अपराध को चरम सीमा पर पहुंचा दिया है आलम यह है कि शहर के हर मोहल्ले में दो घर छोड़कर तीसरे घर में साइबर क्राईम घटित हो रहा है। बीते कुछ समय से लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने का ट्रेंड चल चुका है। जहां कोई पुलिस का अधिकारी बाकायदा वर्दी पहनकर थाने में बैठकर आपको वीडियो कॉल करता है और आपके किसी केस में फंसे होने या फिर फंसा दिए जाने की बात को लेकर सबसे पहले आपको डिजिटल अरेस्ट करता है और उसके बाद आपसे लंबी चौड़ी रकम हथिया लेता है। क्योंकि पुलिस का नाम सुनकर ही एक आम आदमी थरथरा उठता है। अब ऐसे में जब थाने से वर्दीधारी पुलिस का वीडियो फोन आ जाए तो फिर ऐसे में आम आदमी की क्या हालत होगी आपको समझ सकते हैं। साइबर तक बहुत अच्छे से जानते हैं कि आप किसी पचड़े में नहीं फंसना चाहते और खुद को बेवजह के झमेले से बचने के लिए मुंह मांगी रकम देने को तैयार हो जाएंगे। औरआपकी इसी नादानी और डर का फायदा उठाते हुए डिजिटल अरेस्ट सफलतापूर्वक करते हुए आपसे पैसे ठगने का कारोबार किया जा रहा है।
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साइबर अपराध अब आम जनता के साथ-साथ पुलिस के लिए भी बड़ी परेशानी बने हुए हैं क्योंकि इस बार साइबर अपराधी खुद बहरूपिया बनकर पुलिस का रूप धारण कर चुके हैं और इससे कहीं ना कहीं पुलिस की छवि भी खराब हो रही है।
जबलपुर में बढ़ते साइबर अपराधों से आम नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस ने एक अभिनव पहल की है। पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय ने साइबर जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। जो शहर के विभिन्न हिस्सों में घूमकर लोगों को साइबर ठगी से बचने के तरीके बताएगा।
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को विभिन्न जांच एजेंसियों का कर्मचारी बताकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाते हैं। उनकी मेहनत की कमाई हड़प लेते हैं। यदि लोग सावधानी बरतें, तो वे अधिकांश साइबर अपराधों से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि अगर कोई साइबर अपराध का शिकार होता है, तो वह थाना या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज करवा सकता है।
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यह विशेष रथ स्पीकर के माध्यम से साइबर सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रसारित करेगा। रथ पर लगे पोस्टर्स में 'डिजिटल अरेस्ट धोखा है' जैसे प्रभावी स्लोगन लिखे गए हैं। पुलिस का उद्देश्य लोगों को साइबर अपराधियों के ठगी के तरीकों से अवगत कराना और उनसे बचने के उपाय बताना है। जबलपुर एसपी संपत उपाध्याय ने विकास की कलम को जानकारी देते हुए बताया कि साइबर अपराधी अक्सर खुद
को विभिन्न जांच एजेंसियों का कर्मचारी बताकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाते हैं। उनकी मेहनत की कमाई हड़प लेते हैं। यदि लोग सावधानी बरतें, तो वे अधिकांश साइबर अपराधों से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि अगर कोई साइबर अपराध का शिकार होता है, तो वह थाना या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज करवा सकता है।
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साइबर अपराधों से बचाव का सबसे कारगर तरीका जागरूकता है। इसी उद्देश्य से यह साइबर रथ शहर में लोगों को शिक्षित करने का काम करेगा। यह पहल न केवल लोगों को सतर्क करेगी बल्कि उन्हें साइबर धोखाधड़ी से बचने मैं मदद भी करेगी।पुलिस अधीक्षक ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के इरादों को समझना जरूरी है, क्योंकि यह साइबर अपराध और साइबर आतंकवाद की श्रेणी में आता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसी भी बैंक द्वारा कभी भी एटीएम नंबर और पासवर्ड जैसे संवेदनशील जानकारी फोन या ईमेल से नहीं मांगी जाती है, और ऐसी जानकारी देने से बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त, पुलिस द्वारा स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों पर भी साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे और बैनर-पोस्टर लगाए जाएंगे, ताकि लोग इन अपराधों के प्रति सचेत रहें।