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फ्लाई ओवर में डामर की दरक ने खिसकाई, एस सी वर्मा की कुर्सी.. जांच दल करेगा..वर्मा के कर्मा का हिसाब..


फ्लाई ओवर में डामर की दरक ने खिसकाई,
एस सी वर्मा की कुर्सी..
जांच दल करेगा..वर्मा के कर्मा का हिसाब..



विकास की कलम/जबलपुर

जबलपुर का ऐतिहासिक फ्लाई ओवर ब्रिज अपने शुरुआती दौर से ही काफी चर्चाओं में रहा है। बनने से पहले ही यह फ्लाई ओवर अपनी लंबाई और चौड़ाई को लेकर विवादों में फंस गया था। आपको बता दे की मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाई ओवर जबलपुर में बन रहा है। और उससे भी बड़ी खासियत यह है कि यह फ्लाई ओवर लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के गृह जिले में निर्माणित किया जा रहा है। लिहाजा फ्लाई ओवर अब अपने आप में खुद ब खुद खास हो जाता है। कहते हैं कि साहब की नाक के नीचे काम करना काफी मुसीबत भरा होता है क्योंकि हर पल गुणवत्ता की जांच करने के लिए कोई ना कोई अधिकारी सर पर खड़ा ही रहता है।


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लेकिन जबलपुर के महान अधिकारियों ने कीर्तिमान रचते हुए मंत्री महोदय की आंखों से ही काजल पोंछ लिया। दरअसल जबलपुर में बन रहे प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाई ओवर के निर्माण कार्यों में गुणवत्ताविहीन कामों को लेकर लंबे समय से आवाज बुलंद हो रही थी और फिर अचानक फ्लाई ओवर के सड़क के ऊपर चढ़ी डामर की परत के दरकने से मामला और भी संगीन हो गया। हालांकि अधिकारी सिस्टम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर काम को ऑफिशियल प्रोटोकॉल के तहत ही कर रहा था लेकिन एक के बाद एक लगातार गुणवत्ता विहीन कार्य की शिकायतें सामने आने के बाद जबलपुर परिक्षेत्र के प्रभारी चीफ इंजीनियर एससी वर्मा को हटा दिया गया है। इसके साथ ही प्रमुख अभियंता भोपाल द्वारा निमार्ण कार्यों की जांच के लिए एक 4 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है।

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मंत्रालय में गूंजी फ्लाई ओवर की कहानी

प्रदेश के बहुचर्चित फ्लाई ओवर निर्माण कार्य में मिलावट की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते यह आग राजधानी के गलियारों से होती हुई मंत्रालय की दहलीज तक जा पहुंची। फ्लाई ओवर में हुए गुणवत्ता विहीन कार्य की बात को लेकर प्रदेश की सियासत काफी गरमा गई है। और जबलपुर में तमाम ठेकेदार से लेकर छोटे बड़े हिस्सेदार तक सभी की नींद हराम हो चुकी हैं। सोने पर सुहागा यह है कि जबलपुर जिला लोक निर्माण मंत्री का गृह जिला है। ऐसे में विपक्ष यह सवाल पूछ रहा है कि खुद के गृह जिले के फ्लाई ओवर में जब मंत्री महोदय मिलावट न रोक पाए तो प्रदेश भर के निर्माण कार्य की क्या स्थिति होगी। यही कारण है कि अब लोक निर्माण मंत्री किसी भी तरह की लापरवाही और गुणवत्ताविहीन कार्य को बर्दाश्त नहीं कर रहे।

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एस सी वर्मा का रीवा किया गया तबादला...

बताया गया है कि जबलपुर में निर्माणाधीन फ्लाई ओवर प्रारंभ होने के पहले ही सड़क पर चढ़ी डामर की लेयर उखड़ने लगी। उसको लेकर सरकार ने गंभीरता बरती और इस आशय की शिकायत के बाद
 प्रमुख अभियंता भोपाल ने कार्यों की गुणवत्ता की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। इस कमेटी में जीपी वर्मा अधीक्षण यंत्री, जीके झा सेतुमंडल ग्वालियर, कुलदीप सिंह के अलावा भवन प्रयोगशाला अनुसंधान भोपाल के अजय कुलकर्णी को सदस्य के रुप में शामिल किया गया हैं। जांच कमेटी से 15 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है इस बीच मप्र शासन लोक निर्माण के उपसचिव नियाज अहमद खान के द्वारा जारी आदेश के तहत जबलपुर में पदस्थ अधीक्षण यंत्री एससी वर्मा प्रभारी मुख्य अभियंता लोक निर्माण परिक्षेत्र जबलपुर को इसी पद और इसी प्रभार पर रीवा स्थानांतरित करा दिया गया है। तबादले का आधार प्रशासनिक बताया गया है। लेकिन उनका तबादला इसी शिकायत से जोड़कर देखा जा रहा है। उनके स्थान पर पीडब्लूडी सागर परिक्षेत्र आरएल वर्मा को जबलपुर को प्रभार सौंपा गया है।

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शिकायत के आधार पर जांच दल करेगा जांच

सूत्र बताते हैं कि गठित किया गया जांच दल सबसे पहले शिकायत की नब्ज टटोलने का काम करेगा। विभागीय सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि शिकायत आने के पूर्व साहब की कुछ ठेकेदारों के साथ अनबन भी हो गई थी।वहीं इस बात की भी जानकारी मिली थी कि ठेकेदार और साहब के बीच सामंजस्य की कड़ी काफी कमजोर हो चली थी। कुछ लोग तो ठेकेदारों की नाराजगी को ही शिकायत का आधार मान रहे हैं। इसके अलावा एक बात और काफी गौर करने वाली है कि जब पीडब्ल्यूडी में ब्रिज डिपार्टमेंट अलग से है, जो फ्लाईओवर निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है। फिर भी, इस काम को बिल्डिंग एंड रोड डिपार्टमेंट को सौंपा गया है, जिसका नेतृत्व एक चीफ इंजीनियर कर रहे हैं। सवाल उठता है कि जब ब्रिज डिपार्टमेंट इस तरह के निर्माण कार्य में प्रशिक्षित है, तो यह जिम्मेदारी क्यों बदली गई।

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खैर शिकायत की बात की जाए तो.... शिकायत में कहा गया है कि फ्लाईओव्हर निर्माण कार्य की शुरुआत के समय से ही सड़क चटकने लगी है, जो निर्माण में गड़बड़ी का इशारा करती है। वहीं अधिकारी पर मनमानी, लापरवाही के भी आरोप लग रहे थे. मामले को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी शिकायत की बिंदुओं की गंभीरता से जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेगी। हालांकि जांच दल के सामने काफी कम समय में इस गड़बड़ झाले को समझने सुलझाने और जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए मैच 15 दिन का समय दिया गया है। अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि वाकई में जांच दल.... जांच के मापदंडों के आधार पर ही जांच करेगा या फिर जांच की खानापूर्ति करते हुए कागजी भरपाई कर देगा..


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