विकास की कलम/जबलपुर
जबलपुर जिले में भाजपा जिला अध्य्क्ष एवं अन्य जिला अध्यक्षों के चयन को लेकर जितनी फुर्ती से राय शुमारी हुई थी । उतनी ही फुर्ती से अब फैसला भी अटका लिया गया है। आला कमान के गलियारों से निकली हवा और फुसफुसाहट की माने तो भाजपा के जिला अध्यक्षों के चयन को लेकर सत्ता और संगठन के बीच लगातार मंथन चल रहा है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि जबलपुर के लिए नाम तय हो गया था। लेकिन ऐन वक्त पर दिग्गजों की रस्साकसी में चयन अटक गया और फिलहाल जबलपुर भाजपा का जिला अध्यक्ष होल्ड पर रख दिया गया।
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कई विवादित पहलुओं पर भी है आला कमानों की नजर
जबलपुर के जिला अध्यक्ष की घोषणा को लेकर रोजाना तरह-तरह के तथ्य बाहर निकाल कर आ रहे हैं। समुद्र मंथन की तरह संस्कारधानी को मथते हुए जबलपुर के जिला अध्यक्ष को प्रकट करने की चेष्टा की जा रही है। इस दौरान मंथन में कई अच्छे और बुरे पहलू भी निकल कर सामने आ रहे हैं। जबलपुर जिले को लेकर लगातार प्रखर हो रहे अंतर द्वंद के स्वर को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वहीं विपक्ष भी कमजोर कड़ी कि आस में अपने पुनरुत्थान की वाट जोह रहा है। वही दावेदारों की वजनदारी से ज्यादा उनके ट्रैक रिकॉर्ड को खंगालने में ज्यादा जोर दिया जा रहा है। वर्तमान की स्थिति देखी जाए तो सिफारिश की चासनी इस बार खुशखबरी की मिठास घोलने में नाकामयाब साबित हो रही है। यही कारण है कि सत्ता के शीश पर बैठे विद्वान अब रेवड़ी को चीन्ह चीन्ह के बांटने का फैसला कर चुके हैं।
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एक गलत फैसला बढ़ा सकता है मनमुटाव
इधर जिला अध्यक्षों के चयन और उनके नाम की घोषणा को लेकर ऐसा पहली बार हो रहा है कि अच्छे अच्छों के पसीने छूट रहे हैं। जिसका एकमात्र कारण राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी है। लंबे समय से मंदिर की पट्टी पर बैठकर निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे सेवादारों ने इस बार मंदिर में बड़ा प्रसाद मिलने की उम्मीद जगा रखी है। राजनीति के छोटे बड़े कुंभ निपटाने के बाद आस लगाए भैया जी को इस बात का पूरा विश्वास है कि उनके द्वारा लगाई गई राजनीतिक महाकुंभ की डुबकी इस बार उनका उद्धार करवा ही देगी। लेकिन उचित सिरमौर ना मिलने पर आस लगाए भैया जी का मानसिक विकार कहीं संगठन के लिए परेशानी न खड़ा कर दे इस बात का भी मंथन प्रमुख तौर पर किया जा रहा है। कुल मिलाकर बात करी जाए तो भाजपा के जिला अध्यक्ष की घोषणा से पहले आपदा प्रबंधन के संसाधनों को मजबूत करने की बात पर मंथन किया जा रहा है। यही कारण है कि हर बार लिस्ट आते-आते अटक रही है।
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जिला अध्यक्ष के चक्कर में प्रदेश अध्यक्ष का काम रुका
दरअसल पिछले एक पखवाड़े से तमाम दावेदार अपना डेरा डाले हुए है और उनके आका अपने अपने समर्थकों के लिए लॉबिंग भी कर रहे हैं। केंद्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश भी भोपाल भी आ चुके थे। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद के बीच तीन दौर की बैठक हो चुकी है। कहा तो जा रहा था कि 5 जनवरी को नाम घोषित कर दिए जायेंगे। लेकिन इस बीच काफी खींचतान होने जबलपुर सहित भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, सतना, सागर सहित अन्य जिलें उलझ गए, जिन्हें फिलहाल होल्ड पर रख दिए की जानकारी मिल रही है। कहा जा रहा है कि आज 35 से 40 जिलों के नाम की सूची जारी कर दी जाएगी, क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान 9-10 जनवरी को भोपाल प्रवास पर रहेंगे। दो तिहाई अध्यक्षों के नाम की घोषणा होने के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।
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कहा जा रहा है जो नाम जिला अध्यक्षों के घोषित होंगे उन्हें तत्काल भोपाल बुला लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश के 60 जिलों से सबसे पहले वे जिले फायनल हुये जहां अध्यक्षों को रिपीट किये जाना है. उसके बाद उन जिलों को भी फायनल कर दिया गया, जहां आम सहमती बनती नजर आई. इस बीच बड़ी संख्या में महिला दावेदारों ने भोपाल में दस्तक दी। बड़े महानगरों में शामिल भोपाल इंदौर ग्वालियर जबलपुर उज्जैन, सागर, टीकमगढ़, में आम सहमति नहीं बन पाने के कारण फिलहाल यह बड़ेजिले होल्ड पर जाते दिख रहे हैं ।
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