नए साल में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने दिया,33 करोड़ 78 लाख का तोहफा..
50 हजार घरों में दौड़ी खुशी की लहर..3 स्कूलों पर गिरी कार्यवाही की गाज..219 करोड़ का तय किया है टारगेट...
विकास की कलम/जबलपुर
नए साल के अगाज के साथ जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शहर भर के अभिभावकों को एक विशेष तोहफा देते हुए 33 करोड़ 78 लाख रुपए की सौगात दी है। मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी अधिकारी के ताबड़तोड़ अंदाज को लेकर शहर का हर घर उनका मुरीद हो चुका है। शिक्षा माफियाओं के ऊपर लगातार चाबुक बरसाते हुए कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शहर के तीन निजी स्कूल संचालकों को 30 दिन के अंदर 33 करोड़ 78 लाख रुपये जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा कराने के आदेश दिए हैं। पांच वर्षों के दौरान स्कूल संचालकों ने अभिभावकों से नियम विरुद्ध तरीके से यह राशि जमा कराई थी। इसे अभिभावकों को लौटाया जाएगा। इसके अलावा तीनों स्कूलों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
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नियम विरुद्ध फीस बढ़ाई , अब करनी पड़ेगी भरपाई
शिक्षा माफियाओं द्वारा आपसी साठगांठ कर एक सिंडिकेट बना लिया गया था जिसके तहत वे ना केवल नियम कानून को ताक पर रखकर अपनी मनमानी कर रहे थे वहीं उन्होंने दस्तावेजों में है फेर कर बिना स्वीकृति लिए हर वर्ष 20 से 30 प्रतिशत तक शिक्षण शुल्क में वृद्धि कर दी थी। जिसका सीधा असर हर घर के अभिभावक पर पड़ा। क्योंकि मामला बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ था लिहाजा अभिभावकों ने भी अपनी खून पसीने की कमाई इन शिक्षा माफियाओं के हवाले कर दी थी। जब जांच में इस बात का पता चला कि निजी स्कूल संचालकों ने बिना किसी अनुमति के मनमाने ढंग से साथ ही शिक्षा विभाग के नियमों को ताक में रखकर फीस वृद्धि की है। तो जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने ऐसे सभी निजी स्कूलों को आड़े हाथ लेते हुए। उन पर कानून का शिकंजा कसना शुरू कर दिया।लड़के बच्चे आपके बाकी सब हमारा...
आपने शादी बारात के इंतजामों के दौरान बारात घरों द्वारा प्रकाशित किए गए विज्ञापन में अक्सर पढ़ा होगा कि....दूल्हा - दुलहन आपके बाकी सब हमारा...
दरअसल यह विज्ञापन शादी वाले घरों को सुविधा प्रदान करते हुए उन्हें दौड़ धूप से निजात दिलाने के लिए किया गया था जिसका एक बात उद्देश्य यह था कि आपको एक ही छत के नीचे कैटरिंग लाइट डेकोरेशन और रिश्तेदारों के रुकने की सारी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगे।
लेकिन स्कूल माफियाओं के सिंडिकेट में उपरोक्त विज्ञापन की तर्ज पर शिक्षा के मंदिर को ऊल जलूल धंधे का अखाड़ा बना दिया। सीधे तौर पर उन्होंने यह जाहिर कर दिया कि
लड़के बच्चे आपके बाकी सब हमारा...
और इसी तर्ज को फैशन बनाते हुए महंगी स्कूल अब बच्चों को और उनके अभिभावकों को स्कूल परिषर से ही किताबें,खेल सामग्री से लेकर स्कूल बैग, स्कूल ड्रेस बेल्ट स्टेशनरी और शिक्षण सत्र की समस्त सामग्री खरीदने का दबाव बनाने लगी। हालांकि शुरुआती दौर पर इनका विरोध हुआ और उन्होंने फिर पब्लिशर और बाहरी दुकान संचालक के साथ साठगांठ कर मनमानी दामों पर कॉपी किताब और ड्रेस बेचना शुरू कर दिया।
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लगभग 50 हजार अविभावकों को लगाया 33 करोड़ 78 लाख का चूना
बीते गुरुवार शाम संस्कारधानी के 50 हजार घरों के लिए एक सबसे बड़ी खुशखबरी लेकर आई। जहां उनके साथ हुए योजना बद्ध धोखे पर न्याय की कार्यवाही करते हुए जिला प्रशासन की पहल पर आदेश जारी करते हुए। शहर के तीन स्कूलों नचिकेता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विजय नगर, स्माल वंडर सीनियर सेकंडरी स्कूल और सेंट जोसफ कान्वेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल रांझी के संचालकों को 33 करोड़ 78 लाख रुपयों की यह राशि जमा कराने के लिए निर्देशित किया गया है।दो-दो लाख का अतिरिक्त जुर्माना भरेंगे दोषी शिक्षण संस्थान
न्याय कि इस डगर में देर जरूर हुई है लेकिन अंधेर नहीं.. यही कारण है कि दोषी शिक्षण संस्थानों को न केवल अभिभावकों की फीस वापस करनी होगी बल्कि जुर्माने के तौर पर दो-दो लाख रुपए भी चुकाने पड़ेंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार दोषी पाए गए तीनों स्कूलों ने 2018-19 से लेकर 2024-25 तक बिना स्वीकृति के फीस बढ़ाई। इस दौरान उन्होंने करीब 47 हजार 904 विद्यार्थियों से अवैध फीस के नाम पर 33 करोड़ 78 लाख रुपये अतिरिक्त कमाए। इन निजी स्कूलों के प्रबंधन पर मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम 2017 एवं 2020 के प्रविधानों का उल्लंघन करने के कारण दो-दो लाख रुपये की शास्ति भी अधिरोपित की गई है। स्कूल प्रबंधकों को आर्थिक दंड की राशि 30 दिन में आयुक्त लोक शिक्षण मप्र के एचडीएफसी बैंक के खाते में जमा कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में रसीद देनी होगी।इनका कहना है
उपरोक्त मामले में जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जानकारी देते हुए बताया कि चूंकि यह राशि अविभावकों से वसूली गई थी लिहाजा उक्त राशि अभिभावकों के खाते में वापस जमा कराई जाएगी। वर्ष 2018 से लेकर 2024 तक 49 हजार 905 बच्चों के अभिभावकों से शिक्षण शुल्क व अन्य मद के रूप में 33 करोड़ 78 लाख रुपये की राशि जमा कराई गई थी। वहीं मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम 2017 एवं 2020 के प्रविधानों का उल्लंघन करने के कारण दो-दो लाख रुपये की शास्ति भी अधिरोपित की गई है। स्कूल प्रबंधकों को आर्थिक दंड की राशि 30 दिन में आयुक्त लोक शिक्षण मप्र के एचडीएफसी बैंक के खाते में जमा कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में रसीद देनी होगी।अभी तो यह अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है
जानकारों की माने तो अभी तक सिर्फ छुटपुट कार्यवाही की जा रही है जबकि कलेक्टर साहब ने 219 करोड़ की रिकवरी का मास्टर प्लान तैयार कर रखा है इस प्लान के तहत कलेक्टर साहब की जांच के दायरे में शहर के तमाम नामी गिरामी 28 स्कूल लिस्टेड किए गए हैं।
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा अब तक की गई कार्रवाई करीब 28 निजी स्कूलों को जांच दोषी पाते हुए उन्हें अवैध फीस वसूली के करीब 219 करोड़ रुपए वापस करने के आदेश दिए हैं। हालांकि इस कार्यवाही से बचने के लिए बहुत से निजी स्कूल कोर्ट की शरण ले चुके हैं जिनके मामलों की सुनवाई जारी है। जिला प्रशासन की निजी स्कूल संचालको पर लगातार की जा रही कार्यवाही के परिणाम स्वरूप कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला समिति ने गुरुवार को उक्त तीन और निजी स्कूलों की फीस वसूली की जांच की और दोषी पाए जाने पर कार्यवाही करते हुए उन्हें अभिभावकों की फीस लौटाने और जमाने की राशि जमा करने के आदेश दिए हैं।